जब से हमने अपनी भाषा का समादर करना छोड़ा तभी से हमारा अपमान और अवनति होने लगी। - (राजा) राधिकारमण प्रसाद सिंह।

वतन का राग (काव्य)

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Author: अफ़सर मेरठी

भारत प्यारा देश हमारा, सब देशों से न्यारा है।
हर रुत हर इक मौसम उसका कैसा प्यारा प्यारा है।
कैसा सुहाना, कैसा सुन्दर प्यारा देश हमारा हैं ।
दुख में, सुख में, हर हालत में भारत दिल का सहारा है ।
भारत प्यारा देश हमारा सब देशों से न्यारा है॥

सारे जग के पहाड़ों में बेमिस्ल पहाड हिमाला है।
पर्बत सब से ऊंचा है, यह पर्वत सबसे निराला है।
भारत की रक्षा करता है, भारत का रखवाला है।
लाखों चश्में बहते हैं इसमें, लाखों नदियों वाला है।
भारत प्यारा देश हमारा सब देशों से न्यारा है॥

गंगा जी की प्यारी लहरें गीत सनाती जाती हैं।
सदियों की तहज़ीब हमारी याद दिलाती जाती हैं।
भारत के गुलज़ारों को सर सब्ज़ बनाती जाती हैं।
खेतों को हर्याली देती फूल खिलाती जाती हैं।
भारत प्यारा देश हमारा सब देशों से न्यारा है॥

कृष्ण की बंसी ने फूंकी है रूह हमारी जानों में।
गौतम की आवाज़ बसी है महलों में, मैदानों में।
'चिश्ती' ने जो दी थी मय, वो अब तक है पैमानों में।
'नानक' की तालीम' अभी तक गूँज रही है कानों में।
भारत प्यारा देश हमारा सब देशों से न्यारा है॥

मज़हब कुछ हो हिन्दी हैं हम सारे भाई भाई हैं।
हिन्दू हैं या मुस्लिम हैं या सुख हैं या ईसाई हैं।
प्रेम ने सब को एक किया है प्रेम के हम शैदाई हैं।
भारत नाम के आशिक़ हैं हम भारत के शैदाई हैं।
भारत प्यारा देश हमारा सब देशों से न्यारा है॥

-अफ़सर मेरठी

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