यह संदेह निर्मूल है कि हिंदीवाले उर्दू का नाश चाहते हैं। - राजेन्द्र प्रसाद।

पाठ | लघुकथा (कथा-कहानी)

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Author: अभिमन्यु अनत

इंग्लैण्ड का एक भव्य शहर। प्रतिष्ठित अंग्रेज परिवार का हेनरी। उम्र अगले क्रिसमस में आठ वर्ष। स्कूल से लौटते ही वह अपनी माँ के पास पहुँचकर उससे बोला, "मम्मी कल मैंने एक दोस्त को अपने यहाँ खाने पर बुलाया है।"

"सच! तुम तो बड़े सोशल होते जा रहे हो।"

"ठीक है न माँ ?"

"हाँ बेटे, बहुत ठीक है। मित्रों का एक-दूसरे के पास आना-जाना अच्छा रहता है। क्या नाम है तुम्हारे दोस्त का।"

"विलियम।"

"बहुत सुन्दर नाम है।"

"वह मेरा बड़ा ही घनिष्ठ है माँ। क्लास में मेरे ही साथ बैठता है।"

"बहुत अच्छा।"

"तो फिर कल उसे ले आऊँ न माँ ?"

"हाँ हेनरी, जरूर ले आना।"

हेनरी कमरे में चला गया। कुछ देर बाद उसकी माँ उसके लिए दूध लिये हुए आई। हेनरी जब दूध पीने लगा तो उसकी माँ पूछ बैठी, "क्या नाम बताया था अपने मित्र का?"

"विलियम।"

"क्या रंग है विलियम का ?"

हेनरी ने दूध पीना छोड़कर अपनी माँ की ओर देखा। कुछ उधेड़बुन में पड़ कर उसने पूछा, "रंग ? मैं समझा नहीं।"

"मतलब यह कि तुम्हारा मित्र हमारी तरह गोरा है या काला ?"

एक क्षण चुप रहकर दूसरे क्षण पूरी मासूमियत के साथ हेनरी ने पूछा,"रंग का प्रश्न जरूरी है क्या माँ ?"

"हाँ हेनरी, तभी तो पूछ रही हूँ।"

"बात यह है माँ कि उसका रंग देखना तो मैं भूल ही गया।"

- अभिमन्यु अनत

[स्व. अभिमन्यु अनत मॉरीशस के जानेमाने साहित्यकार हैं]

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