देशभाषा की उन्नति से ही देशोन्नति होती है। - सुधाकर द्विवेदी।

ऐसे पड़ गया नाम 'शेख चिल्ली' (बाल-साहित्य )

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Author: भारत-दर्शन संकलन

शेख चिल्ली के अनेक किस्से है। उनका नाम शेख चिल्ली कैसे पड़ा, इसपर भी कई किस्से हैं! उनके नाम के साथ 'चिल्ली' उनके द्वारा 40 दिन तक लगातार प्रार्थना, जिसे 'चिल्ला' कहते हैं, करने के कारण पड़ा, यह भी कहा जाता है। एक और मजेदार किस्सा इस प्रकार है:

बचपन में मियां शेख को मौलवी साहब नें शिक्षा दी कि लड़के और लड़की के संबोधन और वार्तालाप के लिए अलग-अलग शब्दों का प्रावधान होता है। उदाहरण के तौर पर "सुलतान खाना खा रहा है" लेकिन "सुलताना खाना खा रही है।"

शेख मियां ने मौलवी साहब की यह सीख गाठ बांध ली।

एक दिन मियां शेख जंगल से गुज़र रहे थे। तभी उन्हे किसी कुएं के अंदर से किसी के चिल्लाने की आवाज़ आई। वह फौरन वहाँ जा पहुंचे। उन्होने देखा की वहाँ कुएँ में एक लड़की गिरी पड़ी थी और वह मदद के लिए चिल्ला रही थी।

अब उन्हें इस लड्की को बाहर निकालने के लिए अपने मित्रों की सहता की आवश्यकता थी। अब उन्हें कैसे बताएं? सोचा तो मौलवी साहब वाला पाठ, "सुलताना खाना खा रही है" याद आ गया। लड़की अभी भी कुएँ के अंदर से मदद के लिए चिल्ला रही थी।

मियां शेख तुरंत दौड़ कर अपने दोस्तों के पास गए। बोले, 'जल्दी चलो। लड़की कुएँ में गिरी हुई है, उसे मदद चाहिए। वो 'चिल्ली' रही है।'

"क्या?" मित्रों ने एक साथ पूछा?

"अरे, जल्दी चलो लड़की जोर-जोर से 'चिल्ली' रही है।

दोस्तों को पूरी बात समझ नहीं आई पर वे मदद करने को साथ चल दिए। मियां शेख और उनके दोस्तों नें मिलकर उस लड़की को कुएं से बाहर निकाल लिया और वह सुरक्षित अपने घर को चल दी।

मियां शेख और उसके दोस्तों ने भी घर की रह पकड़ी। रास्ते में मियां शेख के एक दोस्त ने सवाल किया, "मियां शेख, आप लड़की 'चिल्ली' रही है, क्यों बोले जा रहे थे?

तब मियां शेख के एक पुराने दोस्त ने खुलासा किया कि मौलवी साहब नें मियां शेख को पढ़ाया था कि लड़का होगा तो, 'खाना खा रहा है', और लड़की हुई तो 'खाना खा रही है।' इसी हिसाब से मियां शेख नें लड़की के चिल्लाने पर "चिल्ली रही" शब्द का प्रयोग किया।

मियां शेख के सारे दोस्त इस बात पर पेट पकड़कर हँसते-हँसते दोहरे हो गए। तभी से मियां शेख बन गए "शेख चिल्ली"।

[भारत-दर्शन]

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