अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।

तू भी है राणा का वंशज  (काव्य)

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Author: वाहिद अली 'वाहिद'

कब तक बोझ सम्भाला जाये
युद्ध कहाँ तक टाला जाये ।
दोनों ओर लिखा हो भारत
सिक्का वही उछाला जाये ।
इस बिगडैल पड़ोसी को तो
फिर शीशे मे ढाला जाये ।

तू भी है राणा का वंशज
फेंक जहाँ तक भाला जाये ।
तेरे मेरे दिल पर ताला
राम करें ये ताला जाये ।
'वाहिद' के घर दीप जले तो
मंदिर तलक उजाला जाये ।

- वाहिद अली 'वाहिद'

 

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