अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।

कुछ छोटी कवितायें  (काव्य)

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Author: प्रीता व्यास

मिठास
तुम्हारी मुस्कराहट
की
बिलकुल जैसे
शगुन का
मोतीचूर।

#

टकराते हैं
यादों के बादल
जब-जब,
एक चेहरा
बिजली-सा
कौंध जाता है।

#

वो सारी बातें
जो मैं
कह नहीं सकी तुमसे,
दरअसल
कहने की बातें तो
वही थीं।

#

जीवन में अर्थ
मिले, न मिले
जीवन को
अर्थ मिले।

#

किसने बांटा है
किसका अकेलापन
धोखा है सब।

-प्रीता व्यास
[प्रीता व्यास के फेसबुक से] 

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