प्रत्येक नगर प्रत्येक मोहल्ले में और प्रत्येक गाँव में एक पुस्तकालय होने की आवश्यकता है। - (राजा) कीर्त्यानंद सिंह।

अगर हम कहें... (काव्य)

Print this

Author: सुदर्शन फ़ाकिर

अगर हम कहें और वो मुस्कुरा दें
हम उन के लिए ज़िंदगानी लुटा दें

हर इक मोड़ पर हम ग़मों को सज़ा दें
चलो ज़िंदगी को मोहब्बत बना दें

अगर ख़ुद को भूले तो कुछ भी न भूले
कि चाहत में उन की ख़ुदा को भुला दें

कभी ग़म की आँधी जिन्हें छू न पाए
वफ़ाओं के हम वो नशेमन बना दें

क़यामत के दीवाने कहते हैं हम से
चलो उन के चेहरे से पर्दा हटा दें

सज़ा दें सिला दें बना दें मिटा दें
मगर वो कोई फ़ैसला तो सुना दें

-सुदर्शन फ़ाकिर

Back

 
Post Comment
 
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश