देशभाषा की उन्नति से ही देशोन्नति होती है। - सुधाकर द्विवेदी।
 

भिखारी (काव्य)

Author: प्रदीप चौबे

एक भिखारी ने
हमसे कहा--
गरीबों की सुनो
वो
तुम्हारी सुनेगा,
तुम
एक पैसा दोगे
वो दस लाख देगा |
हमने कहा--
तू गारंटी लेगा?
अबे
भगवान्
क्या इतना मूर्ख है,
एक पैसा लेकर
दस लाख देगा,
और नहीं दिया
तो मेरा
एक पैसा कौन वापस करेगा?
सुनते ही
भिखारी
खिसिया गया
बोला--
बाबूजी,
आपसे मिलकर
हो न हो
कोई
मजा आ गया पहुँचे हुए कलाकार हम तो
आप हैं,
केवल भिखारी हैं,
आप तो
हमारे भी
... !

-प्रदीप चौबे

Back

 
Post Comment
 
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश