यदि पक्षपात की दृष्टि से न देखा जाये तो उर्दू भी हिंदी का ही एक रूप है। - शिवनंदन सहाय।
 

छोटी कविताएं (काव्य)

Author: मदन डागा

अकाल

आओ दोस्त,
धन्धा करे
अकाल पड़ा है
चन्दा करें।

- मदन डागा

#

 

कुर्सी

कुर्सी
पहले कुर्सी थी
फ़कत कुर्सी
फिर सीढ़ी बनी
और अब
हो गयी है पालना
जरा होश से सम्हालना!

- मदन डागा

#

 

भूख से नहीं मरते

हमारे देश में
आधे से अधिक लोग
गरीबी की रेखा के नीचे
जीवन बसर करते हैं
लेकिन भूख से कोई नहीं मरता
सभी मौत से मरते हैं
हमारे नेता भी
कैसा कमाल करते हैं!

- मदन डागा

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