अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।
 

उड़ान (बाल-साहित्य )

Author: आई बी अरोड़ा

इक दिन हाथी मौज में आया
उड़ने का उसका मन कर आया

झटपट भागा भागा आया
कबूतर का दरवाज़ा खटखटाया

बड़े प्यार से पुछा उसको
"उड़ते कैसे हो बतलाओ मुझको"

कबूतर पहले तो चकराया
बात हाथी की समझ न पाया

सिर फिर अपना उसने खुजलाया
और हाथी को यह समझाया

"बड़ी तेज़ मैं पंख हिलाऊँ
सीधा आकाश में उड़ता जाऊँ"

सुनकर हाथी हुआ उदास
पंख नहीं थे उसके पास

पंख भला वो पाता कैसे
बिना पंख वो उड़ता कैसे

फिर हाथी ने सोचा मन में
मुझ सा न कोई दूजा वन में

मैं क्यों रहूँ भला उदास
मुझ सी शक्ति किस के पास

- आई बी अरोड़ा
ई-मेल : indubarora@gmail.com

 

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