प्रत्येक नगर प्रत्येक मोहल्ले में और प्रत्येक गाँव में एक पुस्तकालय होने की आवश्यकता है। - (राजा) कीर्त्यानंद सिंह।
 

शतरंज का जादू (बाल-साहित्य )

Author: गुणाकर मुले

‘शतरंज के खेल के नियमों को आप न भी जानते हों तो कम से कम इतना तो सभी जानते हैं कि शतरंज चौरस पटल पर खेला जाता है । इस पटल पर ६४ छोटे-छोटे चौकोण होते हैं।

प्राचीन काल में पर्सिया में शिरम नाम का एक बादशाह था। शतरंज की अनेकानेक चालों को देखकर यह खेल उसे बेहद पसंद आया। शतरंज के खेल का आविष्कर्ता उसी के राज्य का एक वृद्ध फ़क़ीर है, यह जानकर बादशाह को खुशी हुई। उस फकीर को इनाम देने के लिये दरबार में बुलाया गया:

"तुम्हारी इस अदभुत खोज के लिये मैं तुम्हें इनाम देना चाहता हूं । माँगो, जो चाहे माँगो," बादशाह ने कहा।

फ़क़ीर - उसका नाम सेसा था - चतुर था। उसने बादशाह से अपना इनाम माँगा - "हुजूर, इस पटल में ६४ घर हैं। पहले घर के लिये आप मुझे गेहूं का केवल एक दाना दें, दूसरे घर के लिये दो दाने, तीसरे घर के लिये ४ दाने, चौथे घर के लिये ८ दाने और ....।  इस प्रकार ६४ घरों के साथ मेरा इनाम पूरा हो जाएगा।"

"बस इतना ही ?" बादशाह कुछ चिढ गया,"खैर, कल सुबह तक तुम्‍हें तुम्‍हारा इनाम मिल जाएगा। "

सेसा मुस्कराता हुआ दरबार से लौट आया और अपने इनाम की प्रतीक्षा करने लगा।

बादशाह ने अपने दरबार के एक गणित-पंडित को हिसाब करके गणना करने का हुक्म दिया। पंडित ने हिसाब लगाया ... १+ २+ ४+ ८+ १६+ ३२+ ६४+ १२८... (६४ घरों तक ) अर्थात १८,४४६,७४४,०७३,७०९,५५१,६१५ गेहूं के दाने। गेहूं के इतने दाने बादशाह के राज्य में तो क्या संपूर्ण पृथ्वी पर भी नहीं थे। बादशाह को अपनी हार स्वीकार कर लेनी पड़ी।

[ गणित की पहेलियां - गुणाकर मुले ]

Back

 
Post Comment
 
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश