देशभाषा की उन्नति से ही देशोन्नति होती है। - सुधाकर द्विवेदी।
 

कौन? (बाल-साहित्य )

Author: सोहन लाल द्विवेदी

किसने बटन हमारे कुतरे?
किसने स्याही को बिखराया?
कौन चट कर गया दुबक कर
घर-भर में अनाज बिखराया?

दोना खाली रखा रह गया
कौन ले गया उठा मिठाई?
दो टुकड़े तसवीर हो गई
किसने रस्सी काट बहाई?

कभी कुतर जाता है चप्पल
कभी कुतर जूता है जाता,
कभी खलीता पर बन आती
अनजाने पैसा गिर जाता

किसने जिल्द काट डाली है?
बिखर गए पोथी के पन्ने।
रोज़ टाँगता धो-धोकर मैं
कौन उठा ले जाता छन्ने?

कुतर-कुतर कर कागज़ सारे
रद्दी से घर को भर जाता।
कौन कबाड़ी है जो कूड़ा
दुनिया भर का घर भर जाता?

कौन रात भर गड़बड़ करता?
हमें नहीं देता है सोने,
खुर-खुर करता इधर-उधर है
ढूँढ़ा करता छिप-छिप कोने?

रोज़ रात-भर जगता रहता
खुर-खुर इधर-उधर है धाता
बच्चों उसका नाम बताओ
कौन शरारत यह कर जाता?

- सोहन लाल द्विवेदी

Back

 
Post Comment
 
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश