यदि पक्षपात की दृष्टि से न देखा जाये तो उर्दू भी हिंदी का ही एक रूप है। - शिवनंदन सहाय।
 

हमसे सब कहते (बाल-साहित्य )

Author: निरंकार देव सेवक

नहीं सूर्य से कहता कोई
धूप यहाँ पर मत फैलाओ,
कोई नहीं चाँद से कहता
उठा चाँदनी को ले जाओ।

कोई नहीं हवा से कहता
खबरदार जो अंदर आई,
बादल से कहता कब कोई
क्यों जलधार यहाँ बरसाई?

फिर क्यों हमसे भैया कहते
यहाँ न आओ, भागो जाओ,
अम्मा कहती हैं, घर-भर में
खेल-खिलौने मत फैलाओ।

पापा कहते बाहर खेलो,
खबरदार जो अंदर आए,
हम पर ही सबका बस चलता
जो चाहे वह डाँट बताए।

- निरंकार देव सेवक

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