जब से हमने अपनी भाषा का समादर करना छोड़ा तभी से हमारा अपमान और अवनति होने लगी। - (राजा) राधिकारमण प्रसाद सिंह।
 

रावण कौन | लघुकथा  (कथा-कहानी)

Author: अमित राज ‘अमित'

वो चारों-पाँचों शराब में धूत्त होकर, सुबह से ही रावण का पुतला बनाने में व्यस्त थे। सब बराबर लगे हुए थे।

हँसी-मजाक का सफर जारी था। धीरे-धीरे हँसी-मजाक गाली-गलोच में तब्दील हो गया। कुछ देर बाद वे आपस में झगड़ने लगे। धीरे-धीरे बात बढ़ती गई, झगड़ने ने भयानक रूप धारण कर लिया।

थोड़ी देर में अजीब-सा मंज़र था - किसी के दाँत टूट गए, किसी का हाथ टूटा था, किसी का पैर टूट गया, किसी का सिर फूटा!

रावण का पुतला यह सारा दृष्य ऐसे देख रहा था, मानो पूछना चाह रहा हो कि आखिर रावण कौन? मैं या ये?


अमित राज ‘अमित'
ग्राम-बूँटोली पो.बनियाना तह. लवाण
जिला दौसा (राज.)-303303
मो. न. 9414354745 8854886255
ई-मेल: amitrajamit480@gmail.com

 

 

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