परमात्मा से प्रार्थना है कि हिंदी का मार्ग निष्कंटक करें। - हरगोविंद सिंह।
 

सब फैसले होते नहीं... (काव्य)

Author: उदय प्रताप सिंह

सब फैसले होते नहीं सिक्का उछाल के
दिल का मामला हैं जरा देखभाल के

मोबाइलों के दौर के आशिक को क्या पता
रखते थे कैसे खत में कलेजा निकाल के

ये कहके नई रोशनी रोएगी एक दिन
अच्छे थे वही लोग पुराने ख्याल के

आंधी उड़ा के ले गई ये और बात है,
कहने को हम भी पत्ते थे मजबूत डाल के

जब प्यार मिल गया तो सभी रत्न मिल गए
अब क्या करेंगे और समंदर खंगाल के

- उदय प्रताप सिंह

 

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