जब से हमने अपनी भाषा का समादर करना छोड़ा तभी से हमारा अपमान और अवनति होने लगी। - (राजा) राधिकारमण प्रसाद सिंह।
 

हिंदुस्तान की शान है हिन्दी (काव्य)

Author: विकास कुमार

हिंदुस्तान की शान है हिन्दी, जन-जन की पहचान है हिन्दी।
यूं तो प्यारी हमको सारी भाषाएँ, पर हमारी जान है हिन्दी॥


संस्कृत से बनी, देवनागरी लिपि वाली ये भाषा है,
देश को जोड़े रखने वाली, हिन्दी भारत की आशा है,
करोड़ों दिल की धड़कन, करोड़ों की प्राण है हिन्दी
हिंदुस्तान की शान है हिन्दी, जन-जन की पहचान है हिन्दी।


एक राष्ट्र, श्रेष्ठ राष्ट्र की प्रतीक, है हमारी राजभाषा,
हिंदुस्तान की गौरव-गाथा है, और जीवन की परिभाषा,
जगाये जो सोया स्वाभिमान, वैसी वैश्विक ज्ञान है हिन्दी
हिंदुस्तान की शान है हिन्दी, जन-जन की पहचान है हिन्दी।


14 सितंबर को आता हमे ध्यान, हिन्दी बचाओ अभियान,
हिन्दी भूलकर, अँग्रेजी बोलकर, हम समझते खुद को महान,
सहके निज-जन का अपमान, अब वीरान है हिन्दीहिंदुस्तान की शान है हिन्दी, जन-जन की पहचान है हिन्दी।


करें उपयोग हम हिन्दी का हर एक-एक काम में,
जन में हिन्दी, मन में हिन्दी, हो हिन्दी हरेक ग्राम में,
सुंदर सरल है जिसकी भाषा, हमारी मान-व-सम्मान है हिन्दी
हिंदुस्तान की शान है हिन्दी, जन-जन की पहचान है हिन्दी।


बस! करें अहसान, दें आयुदान, देश की मातृभाषा का अभिनंदन करें,
एकता की अनुपम परंपरा वाली, कामधेनु जैसी हिन्दी का वंदन करें,
लेगी एक नयी उड़ान, सुमधुर सुर-तान है हिन्दी
हिंदुस्तान की शान है हिन्दी, जन-जन की पहचान है हिन्दी।


- विकास कुमार 
  ई-मेल: vikasfpt@gmail.com 

* रचनाकार एक वैज्ञानिक हैं।  

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