यदि पक्षपात की दृष्टि से न देखा जाये तो उर्दू भी हिंदी का ही एक रूप है। - शिवनंदन सहाय।
वरिष्ठ कवि कुंवर नारायण नहीं रहे (विविध)  Click to print this content  
Author:भारत-दर्शन समाचार

नवंबर, 2017 (भारत): ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित 90 वर्षीय हिन्दी के वरिष्ठ कवि कुंवर नारायण का 15 नवंबर की सुबह निधन हो गया। वे चार जुलाई से मस्तिष्काघात के पश्चात कोमा में चले गए थे।  उनका निधन उनके चितरंजन पार्क स्थित घर पर हुआ। उनका अंतिम संस्कार दिल्ली के लोधी शव दाहगृह में किया गया।

मूलत: विज्ञान विषय के छात्र रहे कुंवर नारायण ने अंग्रेजी साहित्य से एम. ए. करने के बाद अंग्रेजी में काव्य लेखन आरंभ किया व शीघ्र ही हिन्दी कविता की तरफ आकर्षित हो गए। कविता के अतिरिक्त वे अपनी कहानियों और आलोचनात्मक लेखन के लिए भी जाने जाते हैं। उनके काव्य- संग्रहों में चक्रव्यूह, परिवेश : हम तुम, आत्मजयी, अपने सामने, कोई दूसरा नहीं, इन दिनों, वाजश्रवा के बहाने, हाशिये का गवाह इत्यादि प्रमुख हैं।

 

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