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नेताजी सुभाषचंद्र बोस के निधन को लेकर नयी जानकारी (विविध)  Click to print this content  
Author:भारत-दर्शन संकलन

16 जनवरी 2016: जनवरी के महीने में ज्यों ही नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती आने वाली होती है तो अचानक नेताजी के लापता होने की घटना पुन: प्रकाश में आ जाती है। 1945 से नेताजी के लापता होने के बाद से यही क्रम चल रहा है। यह वर्ष भी अपवाद नहीं है।

भारत की स्वतंत्रता के लिए आजाद हिंद फौज का नेतृत्व करने वाले सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु आज भी एक रहस्य बनी हुई है।

 

Netaji Subhash Bose

नेता जी के लापता होने को लेकर दो मत हैं -

1) वे मारे गए - मारे जाने को लेकर भी कई प्रकार के मत है जैसे - लाल किले में, विमान दुर्घटना, देहरादून में, शिवपुराकलां में या फैजाबाद में।

2) अन्य वे अज्ञातवास में चले गए।

1950 में यह सामान्य मत था कि नेताजी जीवित हैं और वे साधु बन गए हैं।

वर्तमान में सुभाषचंद्र बोस को लेकर विभिन्न वेबसाइट हैं जिनमें समय-समय पर उनके बारे में जानकारी दी जाती है। हाल ही में एक नई साइट प्रकाश में आई है। ब्रिटेन से संचालित यह साइट पिछले कुछ समय से 'सुभाषचंद्र बोस' के अंतिम दिनों को एक वृतांत के रूप में प्रकाशित कर रही है।

ब्रिटेन की यह वेब साइट जिसका प्रकाशन/संचालन स्वतंत्र पत्रकार व नेताजी के भाई के पोते (आशीष रे) करते हैं, ने दावा किया है कि नेताजी का 18 अगस्त 1945 को विमान दुर्घटना के बाद देहांत हो गया था। इस साइट ने आज (16 जनवरी 2016) को उस डॉक्टर का ब्यान व छायाचित्र जारी किया है, जिसने अंतिम समय में 'नेताजी' की देखभाल की थी व बाद में उन्हें मृत घोषित किया था।

Dr Taneyoshi Yoshimi who seen Netaji Subhash Bose before he was declared dead on Aug 18th 1945

छायाचित्र: बोस फाइल्ज़ - सफ़ेद कपड़ो में डॉ तमेयोशी योशिमी (दाएं से दूसरे), उन्होंने 1945 में ताइपे में एक अस्पताल में कई घंटे के लिए सुभाष चंद्र बोस का इलाज किया था जब वे तथाकथित रूप से एक विमान दुर्घटना में बुरी तरह घायल हो गए थे। यही बाद में इसी डॉक्टर ने नेताजी को मृत घोषित किया था। आशीष रे (नेताजी के भाई के पोते- दाएं से तृतीय) ने 1995 में डॉ तमेयोशी योशिमी से मुलाकात की थी। 


उधर सुभाषचंद्र बोस की जानकारी रखने वाले अन्य विशेषज्ञ इस नई जानकारी से असहमत हैं।

सुभाष चंद्र बोस ऑर्ग ने बोस फाइल्ज़ वेबसाइट व 'आशीष रे'  की नई जानकारी से असहमति जताते हुए इसे आशीष द्वारा पिछली सरकार की गैर-जिम्मेदाराना कार्यवाही पर लिपापोती करना बतलाया है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्ज़ी ने पिछले वर्ष सितंबर 2015 में नेताजी से संबंधित 64 फाइलें सार्वजनिक की थीं और कहा था कि उनकी सरकार द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी जिन फाइलों को सार्वजनिक किया गया है, उनमें मौजूद पत्रों से संकेत मिलता है कि वह 1945 के बाद भी जीवित थे और उनके परिवार की जासूसी की जा रही थी।

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