अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।
और नाम पड़ गया आज़ाद  (विविध)  Click to print this content  
Author:भारत-दर्शन संकलन

चन्द्रशेखर बचपन से ही महात्मा गांधी से प्रभावित थे। वे बचपन से स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने लगे थे - गांधीजी के 'असहयोग आंदोलन' के दौरान उन्होंने विदेशी सामानों का बहिष्कार किया।  इसी असहयोग आंदोलन के दौरान उन्हें पहली बार पंद्रह वर्ष की आयु आंदोलनकारी के रूप में पकड़ लिया गया और जब मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किया गया।  उसका नाम पूछा गया तो  उन्होंने कहा "आजाद"।

"तुम्हारे पिता का क्या नाम है?"

उत्तर मिला, "स्वाधीनता।"

"तुम्हारा घर कहाँ पर है?"

"जेलखाना।"

अल्पायु के कारण चंद्रशेखर को कारावास का दंड ने देकर  बालक चन्द्रशेखर को पंद्रह कोड़ों का दण्ड दिया गया। 

चन्द्रशेखर हर कोड़े की मार पर "भारत माता की जय!", "वंदेमातरम्", "महात्मा गांधी की जय" का उद्घोष करते रहे। बस तभी से उनका नाम चन्द्रशेखर "आजाद" पड़ गया।

[भारत-दर्शन संकलन]

Previous Page  |  Index Page  |   Next Page
 
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश