प्रत्येक नगर प्रत्येक मोहल्ले में और प्रत्येक गाँव में एक पुस्तकालय होने की आवश्यकता है। - (राजा) कीर्त्यानंद सिंह।
खुद ही बनाया और बिगाड़ा तकदीरों को  (काव्य)  Click to print this content  
Author:रोहित कुमार 'हैप्पी'

खुद ही बनाया और बिगाड़ा तकदीरों  को
मैं  मानता  नहीं  हाथ  की  लकीरों को।

महलों  में  रहें  या  कभी  हों  बेघर
फर्क  पडता  है  कब  फकीरों  को।

कर्म  अपने  का  फल  मियाँ  भोगो
कोसते  क्यों  हो  भला तकदीरों को।

दुख  गरीबों  को  ही बस नहीं होते
खुशियाँ मिलती नहीं सब अमीरों को।

 

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