जब से हमने अपनी भाषा का समादर करना छोड़ा तभी से हमारा अपमान और अवनति होने लगी। - (राजा) राधिकारमण प्रसाद सिंह।
आरती शर्मा की क्षणिकाएँ (काव्य)  Click to print this content  
Author:आरती शर्मा

याद आई माँ
ना आई पाती
कहाँ मैं जाती?

- आरती शर्मा

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दुख तेरे तेरे
सुख मेरे मेरे
रिश्ते मिले हैं
ऐसे बहुतेरे।

- आरती शर्मा

 

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