प्रत्येक नगर प्रत्येक मोहल्ले में और प्रत्येक गाँव में एक पुस्तकालय होने की आवश्यकता है। - (राजा) कीर्त्यानंद सिंह।
चल गई | शेखचिल्ली के किस्से  (बाल-साहित्य )  Click to print this content  
Author:भारत-दर्शन संकलन

एक दिन शेखचिल्ली बाजार में यह कहता हुआ भागने लगा, "चल गई, चल गई!'

उन दिनों शहर में शिया-सुन्नियों में तनाव था और झगड़े की आशंका थी।

उसे ‘चल गई, चल गई' चिल्लाते हुए भागते देखकर लोगों ने समझा कि लड़ाई हो गई है। लोग अपनी-अपनी दुकानें बंद कर भागने लगे। थोड़ी ही देर में बाजार बंद हो गया। कुछ लोगों ने शेखचिल्ली के साथ भागते हुए पूछा, "अरे यह तो बताओ, कहां पर चली है? कुछ जानें भी गई हैं क्या?"

शेखचिल्ली थोड़ा ठहरा और हैरान होकर पूछा, 'क्या मतलब?'

'भाई, तुम ही सबसे पहले इस खबर को लेकर आए हो। यह बताओ लड़ाई किस मोहल्ले में चल रही है।'

'कैसी लड़ाई?' शेखचिल्ली ने पूछा।

'अरे तुम ही तो चिल्ला रहे थे कि चल गई चल गई।'

'हां-हां', शेखचिल्ली ने कहा 'वो तो मैं इसलिए चिल्ला रहा था कि बहुत समय से जेब में पड़ी एक खोटी दुअन्नी आज एक लाला की दुकान पर चल गई है।

 

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