भारत-दर्शन::इंटरनेट पर विश्व की सबसे पहली ऑनलाइन हिंदी साहित्यिक पत्रिका
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देख लिया ग़ैर को अपना बना केछोड़ गया हमको ख़ाक में मिला के ख़ोजा बहुत उसे मिल भी गया वोचलता बना हाय वो नज़रें चुरा के ना रातों को नींदें, ना दिन को सकूं हैमिला क्या हमें हाय दिल को लगा के खुद भी जला वो, हमें भी जलायामिला क्या उसे ऐसी आग लगा के
- रोहित कुमार 'हैप्पी'
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