बरखा बहार (बाल-साहित्य )  Click to print this content  
Author:भव्य सेठ

देखो भाई बरखा बहार
लेकर आई बूंदों की फुहार
रिमझिम-रिमझिम झड़ी लगाई
धरती कैसी है मुसकाई
लहराते पत्ते-पत्ते पर
हरियाली इसने बिखराई

ऋतुओं ने किया शृंगार
देखो आई बरखा बहार
झूम उठा मौसम चित्तचोर
नाच उठा जंगल में मोर
चमचम-चमचम बिजली बरसे
रिमझिम-रिमझिम बादल बरसे

गरज-गरज कर उमड़े बादल
अंबर पर छा गई है चादर
कौन आया है अपने देश?
माटी की सौंधी खुशबू से
धरती अंबर हुआ विभोर

छलका प्रकृति का है प्यार
देखो आई बरखा बहार
सूरज खेले आंख मिचौली
जब आए मेघों की टोली
उपवन हुआ बड़ा गुलजार
देखो देखो आई बरखा बहार

           --भव्य सेठ, न्यूज़ीलैंड

Previous Page  |  Index Page  |   Next Page
 
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें