देशभाषा की उन्नति से ही देशोन्नति होती है। - सुधाकर द्विवेदी।
न्यूज़ीलैंड की संसदीय समिति के समक्ष हिंदी का पक्ष (विविध)  Click to print this content  
Author:भारत-दर्शन समाचार

14 अप्रैल 2021 (न्यूज़ीलैंड): शिक्षा संशोधन विधेयक (प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों में द्वितीय भाषा अध्ययन सशक्तिकरण) के संदर्भ में आज न्यूज़ीलैंड की संसदीय समिति के समक्ष मौखिक प्रस्तुतियाँ हुईं जिनमें हिंदी के समर्थन में भी प्रस्तुतियां हुई। सब्मिशन भरे जाने के पश्चात संसदीय समिति ने कुछ संस्थाओं को मौखिक रूप से अपनी प्रस्तुति के लिए 14 अप्रैल को आमंत्रित किया था। हिंदी के समर्थन में भारत-दर्शन ऑनलाइन पत्रिका, भारतीय भाषा एवं शोध संस्थान, वायटाकरे हिंदी विद्यालय और वैलिंगटन हिंदी विद्यालय के प्रतिनिधियों ने अपना पक्ष रखा।

Sansadiya Samiti New Zealand

आज की प्रस्तुतियों में भारत-दर्शन के सम्पादक, रोहित कुमार 'हैप्पी', भारतीय भाषा एवं शोध संस्थान की ओर से डॉ पुष्पा भारद्वाज-वुड व सुनीता नारायण, वायटाकरे हिंदी विद्यालय की ओर से सतेन शर्मा व वैलिंगटन हिंदी विद्यालय की ओर से कश्मीर कौर ने अपना पक्ष रखा। वैलिंगटन हिंदी विद्यालय के एक भूतपूर्व छात्र ने भी अपने अनुभव साझा किए और हिंदी शिक्षण के सन्दर्भ में अपना पक्ष रखा।

रोहित कुमार 'हैप्पी' ने न्यूज़ीलैंड में हिंदी भाषियों का उल्लेख करते हुए, न्यूज़ीलैंड शिक्षण की पृष्ठभूमि और स्थानीय हिंदी मीडिया की जानकारी दी। उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि वैलिंगटन स्थित भारतीय उच्चायोग हिंदी का पूर्ण रूप से समर्थन करता है। न्यूज़ीलैंड में भारत के उच्चायुक्त, मुक्तेश परदेशी अपना पूरा सहयोग दे रहे हैं। इसके अतिरिक्त भारत के शिक्षा मंत्रालय की सबसे बड़ी संस्थाओं में से एक राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान और विश्व हिंदी सचिवालय (मॉरीशस) ने भी अपना पूर्ण समर्थन और आश्वासन दिया है।

Sansadiya Samiti Ke Samksh Hindi Hetu Prastutiya

"न्यूज़ीलैंड ने 'भारत-दर्शन' के रूप में विश्व को हिंदी का पहला वेब प्रकाशन दिया और वह अनेक हिंदी के संसाधन विकसित कर रहा है।"

तकनीक के क्षेत्र में भारत-दर्शन ने पूर्ण सहयोग की पेशकश की।

डॉ पुष्पा ने हिंदी शिक्षण व पाठ्यक्रम के विकास पर चर्चा की। बच्चों को किस प्रकार शिक्षण दिया जाए और पाठ्यक्रम में क्या सम्मिलित हो ताकि उसका स्थनीयकरण भी हो, यह बात उठाई। न्यूज़ीलैंड में चौथी सर्वाधिक बोली जाने वाली हिंदी के पक्ष में कई तथ्य समिति के समक्ष रखे। उन्होंने बताया, यह न्यूज़ीलैंड और भारत के संबंधों को सुदृढ़ करेगा। हिंदी पढ़ाने वाले शिक्षक यहाँ उपलब्ध हैं और हमारे पास भारत सरकार के सहयोग का आश्वासन है। यहां के भारतीय उच्चायुक्त बहुत सहयोगी हैं।

भारत-दर्शन से बात करते हुए, डॉ पुष्पा ने कहा, "आओटियारोआ न्यूज़ीलैंड में सभी हिंदी भाषियों और समर्थकों के लिए आज का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक था। हमें आज पहली बार इस देश की संसद में सिलेक्ट कमेटी (प्रवर समिति) के सामने व्यक्तिगत रूप से हिंदी की महत्ता, विश्व में इसके योगदान और इसका प्रयोग करने वालों के लिए भावी संभावनाओं के बारे में अपने विचार प्रस्तुत करने का अवसर प्राप्त हुआ था।

हालांकि इस बिल पर अपनी लिखित प्रस्तुति हमने पहले ही जमा करा दी थी। आज की व्यक्तिगत रूप से प्रस्तुति हमारे लिए एक दोहरा मौका था हिंदी को आओटियारोआ न्यूज़ीलैंड में और सशक्त बनाने का।

मुझे आज प्रवर समिति के सामने अपने विचार प्रस्तुत करने और पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देने में हार्दिक प्रसन्नता के साथ-साथ गर्व भी महसूस हुआ। किसी ने सही कहा है कि माँ की गरिमा उससे दूर होने पर और भाषा एवं संस्कृति की महत्ता उसके आपके जीवन से लुप्त होने की संभावना होने पर ही होती है।"

"भाषा मानव के अंतर्मन को जानने और उसकी संस्कृति तथा सभ्यता पर प्रकाश डालने वाला वह दीपक है जो इतिहास के साथ-साथ मानव के आधारभूत मूल्यों को भी उजागर करता है।" 

वे कहती हैं, "मेरा यह मानना है कि यहां के विद्यालयों में हिंदी पढ़ाने से न तो माओरी भाषा के स्थान और उसकी महत्ता पर कोई प्रभाव पड़ेगा और न ही हम किसी अन्य भाषा के साथ साथ प्रतियोगी के रूप में भाग ले रहे हैं। हमारा उद्देश्य तो अपनी प्रस्तुति के माध्यम से हमारे इस छोटे से सफेद बादलों के देश की भाषाओं, इसकी संस्कृति और आर्थिक क्षमता को और सुदृढ़ बनाना है।"

वायटाकरे हिंदी विद्यालय के संचालक, सतेन शर्मा ने हिंदी शिक्षण की चर्चा की और हिंदी पढ़ाना कितना हितकारी हो सकता है,  इसपर बल दिया। उनका यह भी मानना है कि यदि हिंदी मुख़्यधारा के स्कूलों में पढ़ाई जानी आरम्भ हुई तब भी सप्ताहांत विद्यालय साथ-साथ चलते रहें। इन विद्यालयों का अपना महत्त्व है।

वैलिंगटन हिंदी विद्यालय की ओर से कश्मीर कौर ने अपना पक्ष रखा। उन्होंने स्कूल की उपलब्धियों का उल्लेख किया और हिंदी शिक्षण के अनेक लाभ संसदीय समिति के समक्ष रखे। उनके साथ विद्यालय का छात्र, 'आनव सिंह'  और वैलिंगटन हिंदी विद्यालय की संचालिका सुनीता नारायण उपस्थित थे।

न्यूज़ीलैंड में हिंदी भाषियों की संख्या व अन्य तथ्यों के आधार पर प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों में हिंदी के द्वितीय भाषा के रूप में शिक्षण के काफी अवसर हैं लेकिन संसदीय समिति द्वारा सभी प्रस्तुतियों को सुन लेने के पश्चात अगली संसदीय प्रक्रिया की प्रतीक्षा करनी होगी।

[भारत-दर्शन समाचार]

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