यदि पक्षपात की दृष्टि से न देखा जाये तो उर्दू भी हिंदी का ही एक रूप है। - शिवनंदन सहाय।
मतपेटी में जिन्न (कथा-कहानी)  Click to print this content  
Author:सुनील कुमार शर्मा

चुनाव प्रचार के बाद घर लौटे, एक थके-हारे नेता जी ने जब दो घूँट लगाने के लिए शराब की बोतल खोली; तो उस बोतल में से बहुत बड़ा जिन्न निकला, और बोला,"बोल मेरे आका! तुझे क्या चाहिए?"

नेता जी उत्तेजित होकर बोले, "जिन्न महाराज! आप इस छोटी-सी बोतल में रह सकते हैं तो मतपेटी में घुसना आपके लिए मुश्किल नहीं.... अतः आप मतदान वाले दिन मेरे ढेर सारे जाली मतपत्र पहुंचा देना, और मेरे विपक्षियों के मतपत्र खराब कर देना.... फिर तो मेरी बल्ले-बल्ले हो जाएगी। "

"मतपत्र क्या होता है?" जिन्न ने पूछा।

"ये कागज की छोटी-छोटी पर्चियाँ।" नेता जी, मतपत्र का नमूना दिखाते हुए बोले।

"कमाल है! आप बड़े-बड़े महल धन-दौलत को छोड़कर ये कागज के टुकड़े माँग रहे हो? ... मेरे में इतनी शक्ति है कि जब अलादीन नाम के एक आदमी ने मुझे चिराग से निकाला था; तो उसके माँगने पर मैंने उसे इतना आलीशान महल ला कर दिया था कि उसके मुकाबले का महल उस ज़माने मे बड़े-बड़े बादशाहों के पास भी नहीं था....।" जिन्न ने नेता जी को समझाने की कोशिश की, तो जिन्न की बात बीच में काटते हुए नेता जी बोले, "किस ज़माने की बातें करते हो? जिन्न साहिब! ... अगर मैं इन कागज के टुकड़ो के बल पर चुनाव जीत गया तो; मैं तेरे उस अलादीन के महल से भी खूबसूरत कोठियाँ पलभर में ख़डी करके दिखा दूंगा.. और रही धन-दौलत की बात, अगर मैं कोई छोटा-मोटा मंत्री भी बन गया तो देश-विदेश के बैंको में धन-दौलत के अम्बार लगा दूँगा।"

"गुस्ताखी मुआफ़ हो, मेरे आका!" जिन्न सिर झुकाकर बोला, मुझे पता नहीं था कि मतपत्र में हम जिन्नो से भी ज्यादा ताकत होती है।

मतदान वाले दिन जिन्न ने नेता जी की आज्ञा का पालन किया; पर उससे एक भूल हो गई; क्योंकि उसे मतदान खत्म होने के समय का पता नहीं था। वह एक मतपेटी से बाहर निकल भी नहीं पाया था कि मतदान का समय समाप्त हो गया, और उस मतपेटी पर सील लग गई। जिससे वह उस मतपेटी में बंद होकर मतगणना केंद्र पहुँच गया। मतगणना वाले दिन सभी दलों के एजेंटो के सामने उस मतपेटी की सील तोड़ी गई; तो उसके अंदर से निकलकर वो जिन्न बोला, "बोलो मेरे आकाओ, तुम्हें क्या चाहिए? "

वहाँ मौजूद सभी दलों के एजेंट एक साथ बोले "हमारी पार्टी की सरकार बननी चाहिए।"

"ऐसा ही होगा....।" कहकर जिन्न गायब हो गया।

उसी जिन्न की करामात से ही देश में पहली बार विभिन्न विचारधाराओं वाले दलों की एक मिली-जुली सरकार सत्ता में आयी; पर वह सरकार ज्यादा दिन चली नहीं।

इसमें उस जिन्न बेचारे का क्या दोष?

सुनील कुमार शर्मा
फ़ोन नं. 9813929916
ईमेल -sharmasunilkumar727@gmail.com

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