महात्माजी के प्रति (काव्य)  Click to print this content  
Author:मैथिलीशरण गुप्त

तुम तो प्राण दे चुके बापू! स्वयं उन्हें साधारण जान,
कृपया कभी न करना अब फिर अपने दिए हुए का दान।
उन्हें न्यास सा रखना आगे।

अब उन पर अधिकार उन्हीं का, उनमें हैं जिनके भगवान!
लिया सँभाल उन्होंने जिनको किया शक्ति भर उनका मान!
और भाग्य हैं जिनके जागे।

-मैथिलीशरण गुप्त

 

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