भारत की परंपरागत राष्ट्रभाषा हिंदी है। - नलिनविलोचन शर्मा।
हाँ, तुम जुगनू को | ग़ज़ल  (काव्य)  Click to print this content  
Author:रोहित कुमार हैप्पी

हाँ, तुम जुगनू को सूरज भी बता सकते हो
इस तरह कैसे उसका नाम मिटा सकते हो

ये मदहोश अदाएं तेरी, दिलकश जलवे
इनसे पर कैसे फकीरों को रिझा सकते हो

तुझको मिल जाए दवा और दुआ भी शायद
तुम खुलके अपना मुझे दर्द बता सकते हो

हरेक चीज़ की करते हो नुमाइश तुम तो
क्या किसी दर्द को सीने में सजा सकते हो

हैं मिरे रास्ते मुश्किल, न है मंजिल का पता
तुम अगर चाहो मुझे हाथ थमा सकते हो

हमारे ज़ख्मों पर छिड़का है नमक कितनों ने
तुम अगर चाहो तो मरहम भी लगा सकते हो

तुम्हारे कहने से सूरज नहीं बनता जुगनू
बाकी मर्जी जो तेरी कुछ भी बता सकते हो

- रोहित कुमार 'हैप्पी', न्यूज़ीलैंड
  ई-मेल: editor@bharatdarshan.co.nz

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