यदि पक्षपात की दृष्टि से न देखा जाये तो उर्दू भी हिंदी का ही एक रूप है। - शिवनंदन सहाय।
मॉरीशस के साहित्यकार अभिमन्यु अनत नहीं रहे (विविध)  Click to print this content  
Author:भारत-दर्शन समाचार

4 जून 2018: साहित्यकार अभिमन्यु अनत का निधन हो गया। वे लम्बे समय से अस्वस्थ थे।

9 अगस्त, 1937 को त्रिओले, मॉरीशस में जन्मे अभिमन्यु अनत ने हिंदी शिक्षण, रंगमंच, हिंदी प्रकाशन आदि अनेक क्षेत्रों में कार्य किए हैं । लाल पसीना, लहरों की बेटी, एक बीघा प्यार, गांधीजी बोले थे इत्यादि उपन्यास, केक्टस के दाँत, गुलमोहर खोल उठा इत्यादि कविता संग्रह तथा अपने सम्पादकीय व अन्य आलेखों के माध्यम से गत 50 वर्षो से हिंदी साहित्य को एक वैश्विक पहचान देने के लिए प्रयासरत रहे हैं ।

आप अनेक वर्षों तक महात्मा गांधी संस्थान की हिंदी पत्रिका 'वसंत' के संपादक एवं सर्जनात्मक लेखन एवं प्रकाशन विभाग के अध्यक्ष रहे । आप 'वसंत' एवं बाल-पत्रिका 'रिमझिम' के संस्थापक थे । दो वर्षों तक महात्मा गांधी संस्थान में हिंदी अध्यक्ष रहे व तीन वर्ष तक युवा मंत्रालय में नाट्य कला विभाग में नाट्य प्रशिक्षक के पद पर रहने के अतिरिक्त अठारह वर्ष तक हिंदी अध्यापन कार्य किया ।

अभिमन्यु अनत का साहित्य अनेक विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में सम्मिलित है तथा उनपर अनेक शोधकार्य किए जा चुके हैं। आपकी की रचनाओं का अनुवाद अंग्रेज़ी, फ्रेंच सहित अनेक भाषाओं में किया गया है।

अभिमन्यु अनत को उनके लेखन के लिए अनेक सम्मान प्रदान किए जा चुके हैं जिनमें सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार, मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, यशपाल पुरस्कार, जनसंस्कृति सम्मान, उ.प्र. हिंदी संस्थान पुरस्कार सम्मिलित हैं। भारत की साहित्य अकादमी द्वारा आपको मानद महत्तर सदस्यता (ऑनरेरी फेलोशिप) का सर्वोच्च सम्मान प्रदान किया जा चुका है ।

 

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