परमात्मा से प्रार्थना है कि हिंदी का मार्ग निष्कंटक करें। - हरगोविंद सिंह।
 
फीजी के लेखक जोगिन्द्र सिंह कंवल नहीं रहे (विविध)     
Author:भारत दर्शन समाचार

18 जुलाई (भारत): फीजी के लेखक जोगिन्द्र सिंह कंवल का लम्बी बीमारी के बाद 17 जुलाई को निधन हो गया।  वे 90 वर्ष के थे।

जोगिन्द्र सिंह कंवल का जन्म व शिक्षण पंजाब में हुआ। वे फीजी में आ बसे। आपके पिताजी 1928 में फीजी आए थे। आपने 1950 में फीज़ी के 'डी ए वी' कॉलेज में शिक्षक के रूप में पदभार संभाला व बाद में 1960 में आपने खालसा कॉलेज में अध्यापन किया व वहाँ के प्रधानाचार्य रहे। आप 28 वर्षों तक खालसा कालेज से जुड़े रहे।

जोगिन्द्र सिंह कंवल की साहित्यिक यात्रा, 'मेरा देश मेरे लोग' से प्रारंभ हुई थी।

कंवल फीजी एक सर्वाधिक लब्धप्रतिष्ठ लेखक हैं। उनके चिंतन में गहराई है।

जोगिन्द्र सिंह ने सदैव अपनी रचनाओं के माध्यम से फीजी के जन-जीवन को चित्रित करने का प्रयास किया है।आपकी साहित्य-कृतियों में 'मेरा देश मेरे लोग' (फीज़ी के जनजीवन पर), 'सवेरा' (उपन्यास, 1976), 'धरती मेरी माता' (उपन्यास, 1978)', 'करवट', 'सात समुद्र पार'(उपन्यास, 1983), 'हम लोग' (कहानी संग्रह, 1992) 'यादों की खुश्बू' (काव्य संग्रह), 'कुछ पत्ते कुछ पंखुड़ियाँ', 'दर्द अपने अपने', 'फीज़ी का हिंदी काव्य साहित्य' सम्मिलित हैं।

हिंदी के अतिरिक्त आपने अँग्रेज़ी में भी साहित्य सृजन किया है जिनमें 'The Morning', 'The New Migrants', 'A Love Story: 1920 (Novels)', 'A Hundred Years of Hindi in Fiji', 'Walking', 'An Anthology of Hindi Short Stories From Fiji' सम्मिलित हैं।

कंवलजी विभिन्न सम्मानों से अलंकृत किए जा चुके हैं जिनमें फीजी के राष्ट्रपति द्वारा, 'मेम्बर ऑव ऑर्डर ऑव फीज़ी' (1995), प्रवासी भारतीय परिषद सम्मान (1981), उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान (1978), फीज़ी हिंदी साहित्य समिति सम्मान (2001), विश्व हिंदी सम्मान (2007) सम्मिलित हैं।

 

 

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