अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।
 
प्रेमचंद : आलेख व निबंध संकलन (विविध)     
Author:भारत-दर्शन संकलन

यहाँ प्रेमचंद पर लिखे गए विभिन्न संकलनों व निबंधों को संग्रहीत किया जा रहा है।

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