यदि पक्षपात की दृष्टि से न देखा जाये तो उर्दू भी हिंदी का ही एक रूप है। - शिवनंदन सहाय।
 
योग-दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी का वक्तव्य  (विविध)     
Author:भारत-दर्शन संकलन

देशभर में और विश्‍वभर में योग से जुड़े हुए सभी महानुभाव,


आज कभी किसी ने सोचा होगा कि ये राजपथ भी योगपथ बन सकता है। UNO के द्वारा आज अंतर्राष्‍ट्रीय योग दिवस का आरम्‍भ हो रहा है। लेकिन मैं मानता हूं आज 21 जून से अंतर्राष्‍ट्रीय योग दिवस से न सिर्फ एक दिवस मनाने का प्रारम्‍भ हो रहा है लेकिन शांति, सद्भावना इस ऊंचाइयों को प्राप्‍त करने के लिए, मानव मन को Training करने के लिए एक नए युग का आरम्‍भ हो रहा है। कभी-कभार बहुत-सी चीजों के प्रति अज्ञानतावश कुछ विकृतियां आ जाती हैं। सदियों से ये परम्‍परा चली है, कालक्रम में बहुत सी बातें उसमें जुड़ी हैं।


मैं आज ये कहना चाहूंगा कि सदियों से जिन महापुरूषों ने, जिन ऋषियों ने, जिन मुनियों ने, जिन योग गुरूओं ने, जिन योग शिक्षकों ने, जिन योग अभ्‍यासियों ने सदियों से इस परम्‍परा को निभाया है, आगे बढ़ाया है उसमें विकास के किंद-बिंदु जोड़े भी हैं। मैं आज पूरे विश्‍व के ऐसे महानुभावों को आदरपूर्वक नमन करता हूं और मैं उनका गौरव करता हूं।


ये शास्‍त्र किस भू-भाग में पैदा हुआ, किस भू-भाग तक फैला, मैं समझता हूं मेरे लिए उसका ज्‍यादा महत्‍व नहीं है। महत्‍व इस बात का है कि दुनिया में हर प्रकार की क्रांति हो रही है। विकास की नई-नई ऊंचाइयों पर मानव पहुंच रहा है, technology एक प्रकार से मनुष्‍य जीवन का हिस्‍सा बन गई है, बाकी सब बढ़ रहा है। बाकी सब तेज गति से बढ़ रहा है, लेकिन कहीं ऐसा तो न हो कि इंसान वहीं का वहीं रह जाए। अगर इंसान वहीं का वहीं रह गया और विश्‍व में सारी की सारी व्‍यवस्‍थाएं विकसित हो गईं तो यह mismatch भी मानव जाति के लिए संकट का कारण बन सकता है और इसलिए आवश्‍यक है कि मानव का भी आंतरिक विकास होना चाहिए, उत्‍कर्ष होना चाहिए।


आज विश्‍व के पास योग एक ऐसी विद्या है और जिसमें विश्‍व के अनेक भू-भागों के अनेक रंग वाले लोगों ने, अनेक परंपरा वाले लोगों ने अपना-अपना योगदान दिया है। उन सबका योगदान स्‍वीकार करते हुए अंतर्मन को कैसे विकसित किया जाए, अंतर-ऊर्जा को कैसे ताकतवर बनाया जाए, मनुष्‍य तनावपूर्ण जिंदगी से मुक्‍त हो करके शांति के मार्ग पर जीवन को कैसे प्रशस्‍त करे, ज्‍यादातर लोगों के दिमाग में योग, यानी एक प्रकार से अंग-मर्दन का कार्यक्रम है। मैं समझता हूं यह सबसे बड़ी गलती है। योग, यह अंग-उपांग मर्दन का कार्यक्रम नहीं है। अगर यही होता तो circus में काम करने वाले बच्‍चे योगी कहे जाते और इसलिए सिर्फ शरीर को कितना हम लचीला बनाते हैं, कितना मोड़ देते हैं, वो योग नहीं है। हमने कभी-कभार देखा है संगीत का बड़ा जलसा चलता हो और संगीत के जलसे के प्रारंभ में, जो वाद्य बजाने वाले लोग हैं वो अपने-अपने तरीके से ठोक-पीट करते रहते हैं। कोई तार ठीक करता है, कोई तबला ठीक करता है, कोई ढोल ठीक करता है, पांच मिनट-सात मिनट लगते हैं, तो जो दर्शक होता है उसको लगता है कि यार ये शुरू कब करेंगे, जिस प्रकार से संगीत शुरू होने से पहले ये जो ताल-ठोक का कार्यक्रम होता है और बाद में एक सुरीला संगीत निकलता है। ये ताल-ठोक वाला कार्यक्रम पूरे संगीत समारोह में बहुत छोटा होता है, ये आसन भी पूरी योग अवस्‍था में उतना ही उसका हिस्‍सा है। बाकी तो यात्रा बड़ी लंबी होती है और इसीलिए उसी को जानना और पहचानना आवश्‍यक हुआ है। और हम उस दिशा में ले जाने के लिए प्रयत्‍नरत हैं।


मैं आज UNO का आभार व्‍यक्‍त करता हूं। दुनिया की 193 countries का आभार व्‍यक्‍त करता हूं, जिन्‍होंने सर्वसम्‍मति से इस प्रकार के प्रस्‍ताव को पारित किया और मैं उन 177 देशों का आभार व्‍यक्‍त करता हूं जिन्होंने co-sponsor बन करके योग के महत्व को स्‍वीकारा और आज सूरज की पहली किरण जहां से प्रारंभ हुई और चौबीस घंटे के बाद सूरज की आखिरी किरण जहां पहुंचेगी। सूरज की कोई भी किरण ऐसी नही होगी, सूरज की कोई यात्रा ऐसी नहीं होगी कि जिन्हें इन योग अभ्यासियों को आशीर्वाद देने का मौका न मिला हो। पहली बार दुनिया को यह स्‍वीकार करना होगा कि अब ये सूरज योग अभ्यासियों की जगह से कभी ढलता नही है वो पूरा चक्र जहां सूरज जाएगा, वहां-वहां योग अभ्यास मौजूद होगा। ये बात आज दुनिया में पहुँच चुकी है।


मन, बुद्धि, शरीर और आत्‍मा ये सभी संतुलित हो, संकलित हो, सहज हो इस अवस्था को प्राप्त करने में योग की बहुत बड़ी भूमिका होती है। मै आज इस महान पर्व के प्रारंभ के समय, ये सिर्फ और सिर्फ मानव कल्याण का कार्यक्रम है, तनाव मुक्त विश्व का कार्यक्रम है, प्रेम, शांति, एकता और सद्भावना का कार्यक्रम है, संदेश पहुंचाने का कार्यक्रम है और इसे जीवन में उतारने का कार्यक्रम है।


मैं इस कार्यक्रम के लिए हृदय से बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। पूरे हिंदुस्‍तान में, हर गली-मोहल्‍ले में जो योग का माहौल बना है, उस माहौल को हम निरंतर आगे बढ़ाएंगे। इसी एक अपेक्षा के साथ आप सभी को मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं।


Previous Page   Next Page
 
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश