अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।
 
भजन (काव्य)     
Author:रोहित कुमार 'हैप्पी'

पथ से भटक गया था राम
नादानी में हुआ ये काम

छोड़ गए सब संगी साथी
संकट में प्रभु तुम लो थाम

तू सबके दुःख हरने वाला
बिगड़े संवारे सबके काम

तेरा हर पल ध्यान धरुं मैं
ऐसा पिला दे प्रेम का जाम

- रोहित कुमार 'हैप्पी'

 

 

Posted By Ankita Roy   on Thursday, 05-Sep-2013-11:35
 
बहुत ही अच्छी तरह लिखा गया है . मुझे पसंद आया. मेरी सहायता के लिए धन्यवाद.
 
 
Posted By pushpendra singh   on Saturday, 16-Feb-2013-17:50
 
बहुत अच्छी कहानी लगी, पड़ के दिल भर आया.
 
 
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