देशभाषा की उन्नति से ही देशोन्नति होती है। - सुधाकर द्विवेदी।
 
पानी की बर्बादी (बाल-साहित्य )     
Author:रवि श्रीवास्तव

मत करो मुझको बर्बाद, इतना तो तुम रखो याद।
प्यासे ही तुम रह जाओगे, मेरे बिना न जी पाओगे।

कब तक बर्बादी का मेरे, तुम तमाशा देखोगे,
संकट आएगा जब तुम पर, तब मेरे बारे में सोचोगे।

संसार में रहने वालों को, मेरी जरूरत पड़ती है,
मेरी बर्बादी के कारण, मेरी उम्र भी घटती है।

ऐसा न हो इक दिन मैं, इस दुनिया से चला जाऊं
खत्म हो जाए खेल मेरा, लौट के फिर न वापस आऊं।

पछताओगे रोओगे तुम, नहीं बनेगी कोई बात,
सोचो समझो करो फैसला, अब तो ये है तुम्हारे हाथ।

मेरे बिना इस दुनिया में, जीना सबका मुश्किल है,
अपनी नही भविष्य को सोचो, भविष्य भी इसमें शामिल है।

मुझे ग्रहण कर सभी जीव, अपनी प्यास बुझाते हैं,
कमी मेरी पड़ गई अगर तो, हर तरफ सूखे पड़ जाते हैं।

सतर्क हो जाओ बात मान लो, मेरी यही कहानी है।
करो फैसला मिलकर आज, मत करो मुझको बर्बाद,
इतना तो तुम रखो याद।

- रवि श्रीवास्तव

#

रवि श्रीवास्तव रायबरेली, उत्तर प्रदेश से संबंध रखते हैं। आप कविता, व्यंग्य, आलेख व कहानी लेखन करते हैं और आजकल एक टीवी न्यूज़ एजेंसी से जुड़े हुए हैं।

ई-मेल: ravi21dec1987@gmail.com

 

Previous Page  |  Index Page  |   Next Page
 
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश