अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।
 
शुभ सुख चैन की बरखा बरसे | क़ौमी तराना (काव्य)     
Author:भारत-दर्शन संकलन

शुभ सुख चैन की बरखा बरसे
भारत भाग्य है जागा
पंजाब, सिंधु, गुजरात, मराठा
द्राविड़, उत्कल, बंगा
चंचल सागर, विंध्य हिमालय
नीला यमुना गंगा
तेरे नित गुण गाएं
तुझसे जीवन पाएं
सब जन पाएं आशा
सूरज बनकर जग पर चमके
भारत नाम सुभागा
जय हो, जय हो, जय हो, जय जय जय जय हो
भारत नाम सुभागा

सबके मन में प्रीत बसाए
तेरी मीठी वाणी
हर सूबे के रहनेवाले
हर मज़हब के प्राणी
सब भेद और फर्क मिटाके
सब गोद में तेरी आगे
गूँथें प्रेम की माला
सूरज बनकर जग पर चमके
भारत नाम सुभागा
जय हो जय हो जय हो
जय हो, जय हो, जय हो, जय जय जय जय हो
भारत नाम सुभागा

सुबह सवेरे पंख पखेरू
तेरे ही गुण गाएं
बास भरी भरपूर हवाएं
जीवन मं ॠतु लाएं
सब मिलकर हिंद पुकारें
जय आज़ाद हिंद के नारे
प्यारा देश हमारासूरज बनकर जग पर चमके
भारत नाम सुभागा
जय हो, जय हो, जय हो, जय जय जय जय हो
भारत नाम सुभागा

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यह गीत गुरुदेव रबीन्द्रनाथ ठाकुर के "जन गण मन" गीत का हिंदी रुपांतर है जो स्वयं नेताजी सुभाषचन्द्र बोस, अबीद हसन और आज़ाद हिंद के उच्च अधिकारियों ने अनुदित किया था। इसे संगीत दिया था आज़ाद हिंद फौज के कप्तान राम सिंह ठाकुर ने।

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