जब से हमने अपनी भाषा का समादर करना छोड़ा तभी से हमारा अपमान और अवनति होने लगी। - (राजा) राधिकारमण प्रसाद सिंह।
 
जन-गण-मन साकार करो (काव्य)     
Author:छेदीसिंह

हे बापू, इस भारत के तुम,
एक मात्र ही नाथ रहे,

जीवन का सर्वस्व इसी को

देकर इसके साथ रहे।

तेरे कर्तव्यों से, बापू,
भारत चिर स्वाधीन हुआ,

उपकारों का ऋणी, सदा यह

तेरे ही आधीन हुआ।

कल्पों में भी कभी उऋण हो,
जन-गण-मन साकार करो,

आओ बापू, आओ फिर से

हम सबका उद्धार करो।

         - छेदीसिंह

 

 

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