अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।
 
दो संस्थानों के नाम सुषमा स्वराज के नाम पर  (विविध)     
Author:भारत-दर्शन समाचार

13 फरवरी 2020 (भारत): भारत की सरकार ने प्रवासी भारतीय केंद्र का नाम बदलकर सुषमा स्वराज भवन रखने का निर्णय लिया है। 

फॉरेन सर्विस इंस्टीट्यूट (विदेशी सेवा संस्थान ) का नाम भी बदलकर 'सुषमा स्वराज इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेन सर्विस' के रूप में बदलने का निर्णय लिया गया है।

भारत  के विदेश मंत्री डॉ एस.जयशंकर ने कहा,"मुझे खुशी है कि सरकार ने प्रवासी भारतीय केंद्र को सुषमा स्वराज भवन और फॉरेन सर्विस इंस्टीट्यूटका नाम सुषमा स्वराज इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेन सर्विस के रूप में बदलने का फैसला किया है।"

पूर्व विदेश मंत्री की सार्वजनिक सेवा और दशकों के अथक परिश्रम के सम्मान में उनकी जयंती की पूर्व संध्या पर उपरोक्त घोषणा की गयी है।  

विदेश मंत्रालय ने पूर्व विदेश मंत्री स्वर्गीय सुषमा स्वराज की स्मृति में उनकी जयंती पर उनके भारतीय कूटनीति में योगदान, भारतीय प्रवासियों के लिए किए हितैषी कार्यों और लोक सेवा में अमूल्य योगदान के लिए उन्हें श्रद्धांजलि दी है।  

सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी, 1952 को हुआ था। उन्होंने सनातन धर्म कॉलेज, अम्बाला  से अपनी पढ़ाई की। उनके पिताजी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य थे। सुषमा स्वराज 13 मई, 2009 से 24 मई, 2019 के बीच लोकसभा सांसद रहीं। वे 13 अक्टूबर, 1998 से 3 दिसम्बर, 1998 के बीच दिल्ली की पांचवी मुख्यमंत्री भी रहीं। वे 30 सितम्बर, 2000 से 29 जनवरी, 2003 तक देश की सूचना व प्रसारण मंत्री रहीं। वे 29 जनवरी, 2003 से 22 मई, 2004 के बीच संसदीय मामलों की मंत्री रही। वे 26 मई, 2014 से 30 मई, 2019 तक विदेश मंत्री रहीं। 

[भारत-दर्शन समाचार]

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