जब से हमने अपनी भाषा का समादर करना छोड़ा तभी से हमारा अपमान और अवनति होने लगी। - (राजा) राधिकारमण प्रसाद सिंह।
 
प्रीता व्यास की दो बाल ग़ज़लें (बाल-साहित्य )     
Author:प्रीता व्यास

चाँद | बाल ग़ज़ल

सोचो कितना अच्छा होता
उतर ज़मीं पे आता चाँद

हाथ मिलाता, बातें करता
देर रात घर जाता चाँद

साथ हमारे खाना खाता
हँसता और हँसाता चाँद

श्वेत चांदनी वाली टॉफी
झोली भर-भर लाता चाँद

नई - नई बातें बतलाकर
सबका दिल बहलाता चाँद

अंतरिक्ष की सैर कराने
साथ हमें ले जाता चाँद

- प्रीता व्यास

 


मैना | बाल ग़ज़ल

मीठे गीत सुनाती मैना
सबको खुश कर जाती मैना

दिखने में तो छोटी सी है
लेकिन धूम मचाती मैना

रंग रूप की कैसी भी हो
हम सबको है भाती मैना

गाँव- शहर में, वन- उपवन में
स्वर संगीत सजाती मैना

नन्ही सी ये प्यारी प्यारी
रोता दिल बहलाती मैना

- प्रीता व्यास

 

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