देशभाषा की उन्नति से ही देशोन्नति होती है। - सुधाकर द्विवेदी।
 
अर्जुन या एकलव्य  (कथा-कहानी)     
Author:रोहित कुमार हैप्पी

'अर्जुन और एकलव्य' की कहानी सुनाकर मास्टर जी ने बच्चों से पूछा, "तुम अर्जुन बनोगे या एकलव्य?"

सारी कक्षा लगभग एक स्वर में बोली,"अर्जुन!"

मास्टर जी बच्चों की समझ पर प्रसन्न थे। तभी कोने में बैठे उस एक बच्चे पर उनकी नज़र पड़ी जो उत्तर देने की जगह मौन रहा था।

"रवि, तुम अर्जुन बनोगे या एकलव्य?"

"एकलव्य!"

उसका उत्तर सुनकर कक्षा के सभी बच्चे 'हीं -हीं ' करके दांत दिखा रहे थे।

"बेटा! एकलव्य क्यों, अर्जुन क्यों नहीं?"

"मास्टरजी, अर्जुन सब सुविधाएं पाकर भी भूलें कर देता था लेकिन एकलव्य सुविधाहीन होते हुए भी कभी भूल न करता था। उसका निशाना कभी नहीं चूका! गुणवान कौन अधिक हुआ?"

मास्टरजी के आगे एक नया 'एकलव्य' खड़ा था। अब मास्टर जी क्या करने वाले थे?

-रोहित कुमार 'हैप्पी'

Previous Page  |  Index Page  |   Next Page
 
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश