अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।
 

डिजिटल इंडिया | हास्य-व्यंग

 (काव्य) 
 
रचनाकार:

 रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड

वर्मा जी ने फेसबुक पर स्टेटस लिखा -
'Enjoying in Dubai with family!'
साथ में...पूरे परिवार का फोटो अपलोड किया था!

एक सप्ताह बाद लौटे तो पाया -
चोरों ने पूरा घर साफ़ कर दिया !

वर्मा जी ने देखते ही ‘फेसबुक' पर लिखा -
‘So sad! चोरों ने पूरा घर साफ़ कर दिया !'

फेसबकियों ने कमेंट्स दे-दे कर पूरा पेज भर दिया -

‘OMG!' [ओह माई गॉड!' ]
‘कितने का नुकसान हुआ ?'
‘अन्दर कैसे आए?'
‘सबकुछ ले गये क्या? फोटो अपलोड करिये!'
‘आपने हमें भी नहीं बताया?'
‘एक कुत्ता पालिए....आजकल हमारी ‘Pet Shop' पर 50% Off है!'
‘कोई बात नहीं वर्मा जी! सब कुछ अच्छे के लिए ही होता है!'
‘इससे भी बुरा हो सकता था!'
‘इन्शोरैंस थी? करवानी चाहिए..हमारी कम्पनी....फेसबुक फ्रेंड को डिस्काउंट देती है!'
‘उसकी मर्जी !''


एक ने पूछा - ‘पुलिस को रिपोर्ट की?

तभी वर्मा जी को ‘पुलिस' का ध्यान आया !

रिपोर्ट लिखवाई गई । वर्मा जी घर लौटे तो घंटे बाद ही किसी ने फेसबुक पर कमेंट किया -
पुलिस ने कमाल कर दिया - आप के बेटे के फेसबुक फ्रेंड ‘अलबेला यार' को आपकी चोरी में धर लिया!'

वर्मा जी ने पूछा - आपको कैसे पता?
‘आधे घंटे पहले के कमेंट्स पढ़िए ‘लोकल पुलिस' ने लिखा है!
इससे अधिक मुझे नहीं पता है - अधिक जानकारी के लिए पुलिस से संपर्क कीजिए!

वर्मा जी पुलिस स्टेशन गए।

पुलिस ने बताया - सबसे पहले हमने आपकी फ्रेंड लिस्ट चेक की...
उसी में पाया कि...
चोरी करके ‘छोरों' ने सामान सहित फोटो अपलोड की थी!
बस, यहीं मात खा गए।
बड़ी गलती की...इसी से हाथ आ गए !

‘अपने मोबाईल पर फोटो देखिये, ना !
अभी-अभी हमने उन्हें पकड़ने की फोटो अपलोड की है।'
मूछों पर ताव देता ‘ताऊनुमा पुलसिया' गर्व से बता रहा था।

अब चोरों को कोर्ट लेकर जाना शेष है....
कोर्ट से जो भी डेट मिलेगी...
फेसबुक पर अपडेट कर दी जाएगी!

ये डिजिटल इंडिया है....
यहाँ ‘माँ' बीमार होती है...
तो बेटी ‘फेसबुक' पर ही रोती है!

जब कोई मर रहा होता है
घर का सदस्य फेसबुक कर रहा होता है।

अभी-अभी रिश्तेदारी में एक की ‘दादी' चल बसी...
उसकी खबर भी ‘गुजरने से पहले' ही पढ़ी थी...
लिखा था...So sad! दादी शायद आखरी सांसें गिन रही है....
फिर फोटो अपलोड हुई थी...
उसके चंद मिनटों के बाद ही ‘दादी' मरी थी!
हम तेहरवीं पर उनके घर गए थे.....
पोते के कई ‘लोकल' फेसबकिया भी आए थे...
‘So sad! So sad!' कर रहे थे....'

तरां....कहते हुए एक छोकरे ने ‘पोते' को मोबाइल दिखाया....
फेसबुक...फेसबुक चल रहा था.....
पता चला ‘दादी' के मरने पर पूरे ‘420' लाइक्स मिले थे!
पोता खुश था...मुस्कुरा रहा था...
देश का भविष्य साफ़ था...अब भारत...
डिजिटल इंडिया बन रहा था...

डिजिटल ??? इंडिया !!!

- रोहित कुमार 'हैप्पी'

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Posted By कोमल मैंदीरत्ता    on
हैप्पी जी की कविता डिजिटल इंडिया ने मन मोह लिया। समाज की संवेदनहीनता पर करारा व्यंग्य। RIP - फ़ेसबुकिए की भाषा में ।
 
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