प्रत्येक नगर प्रत्येक मोहल्ले में और प्रत्येक गाँव में एक पुस्तकालय होने की आवश्यकता है। - (राजा) कीर्त्यानंद सिंह।
 

मीना कुमारी की शायरी

 (विविध) 
 
रचनाकार:

 रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड

दायरा, बैजू बावरा, दो बीघा ज़मीन, परिणीता, साहब बीबी और गुलाम तथा पाक़ीज़ा जैसी सुपरहिट फिल्में देने वाली अभिनेत्री मीना कुमारी को उनके अभिनय के लिए जाना जाता है। मीना कुमारी ने दशकों तक अपने अभिनय का सिक्का जमाए रखा था। 'मीना कुमारी लिखती भी थीं' इस बात का पता मुझे 80 के दशक में शायद 'सारिका' पत्रिका के माध्यम से चला था।

90 के दशक में न्यूजीलैंड में एक अनौपचारिक बातचीत के दौरान स्व० 'महेन्द्र चन्द्र विनोद शर्मा' ने मीना कुमारी के लेखन का जिक्र किया। वे मूलतः फीजी से थे। मुझे केवल आभास भर था कि मीनाकुमारी शायरी भी करती थी, इससे अधिक कुछ नहीं।

फीजी का एक हिंदी पत्र है, 'शांति-दूत'। इसी के पूर्व संपादक थे, 'महेन्द्र चन्द्र विनोद शर्मा'। वे ऑकलैंड में स्वयं सेवी के रूप में हिंदी भी पढ़ाते थे यथा बहुत से लोग उन्हें 'मास्टर जी' ही पुकारते थे। एक दिन पुनः आग्रह करने पर उन्होंने मीना कुमारी की एक रचना मुँहजुबानी सुनाई:

"टुकड़े-टुकड़े दिन बीता, धज्जी-धज्जी रात मिली
जिसका जितना आंचल था, उतनी ही सौग़ात मिली

जब चाहा दिल को समझें, हँसने की आवाज़ सुनी
जैसे कोई कहता हो, ले फिर तुझको मात मिली

मातें कैसी, घातें क्या ? चलते रहना आठ पहर
दिल-सा साथी जब पाया, बेचैनी भी साथ मिली"

मास्टर जी ने बताया कि उनके पास मीना कुमारी की कई रचनाएँ हैं। बाद में उन्होंने अपनी एक पुस्तक 'अनमोल रत्न' (1994) में मीना कुमारी की चार रचनाएँ प्रकाशित की।

मीना कुमारी ने अपनी वसीयत में अपनी रचनाओं, अपनी डायरियों के सर्वाधिकार शायर गुलज़ार को दिए हैं। फिर गुलज़ार द्वारा 'मीना कुमारी की शायरी' प्रकाशित हुई, उसमें उपरोक्त रचना कुछ शब्द-संशोधन के साथ देखने को मिली।

- रोहित कुमार 'हैप्पी'

Back
 
Post Comment
 
Type a word in English and press SPACE to transliterate.
Press CTRL+G to switch between English and the Hindi language.
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश