भारत की परंपरागत राष्ट्रभाषा हिंदी है। - नलिनविलोचन शर्मा।
 

जहां रावण पूजा जाता है

 (विविध) 
 
रचनाकार:

 रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड

विजयादशमी पर भारतवर्ष में रावण के पुतले जलाने के प्रचलन से तो सभी परिचित हैं।  वहीं कुछ स्थान ऐसे भी हैं जहां रावण पूजनीय है। विदिशा से करीब 45 किमी दूर रावण गांव में  रावण की 12 फीट लंबी पत्थर की प्रतिमा स्थापित है और यहाँ सदियों से रावण की पूजा-अर्चना होती आ रही है। इस परंपरा का आज भी निर्वाह हो रहा है। दशहरे के अवसर पर तो आसपास के लोग भी इस गांव में आते हैैं। यहाँ रावण को 'रावण' संबोधित न कहकर 'रावण बाबा' पुकारा जाता है।

इस रावण गांव की अनूठी परंपरा को अपने समय की सुप्रसिद्ध पत्रिका 'धर्मयुग' ने अक्तूबर 1994 के अंक में प्रकाशित किया था, 'शुरू नहीं होता कोई भी शुभ काम रावण की पूजा के बिना!' इसके लेखक थे अवध श्रीवास्तव।

श्रीवास्तव जी लिखते हैं कि इस गांव का नाम रावण कैसे पड़ा, किसी को ज्ञात नहीं, लेकिन रावण ग्राम व उसके आसपास के गांवों में सत्तर प्रतिशत आबादी कान्यकुब्ज ब्राह्मणों की है, रामायण में रावण को कान्यकुब्ज ब्राह्मण ही बताया गया है। ये सभी शुद्ध कान्यकुब्ज ब्राह्मण दशानन रावण के अनन्य भक्त हैं।

रावण गांव के अतिरिक्त कानपुर के प्राचीन 'दशानन मंदिर' में भी रावण की स्तुति की जाती है।  यह मंदिर लगभग सवा सौ वर्ष पुराना है।  इस मंदिर का निर्माण 1890 किया गया था। यह मंदिर केवल विजयदशमी के दिन ही खुलता है। यहाँ रावण की पाँच फुट ऊंची प्रतिमा लगी हुई है।
 
कर्नाटक, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में भी कुछ स्थानों पर रावण की पूजा होती है।

- रोहित कुमार 'हैप्पी'

#

'धर्मयुग' अक्तूबर 1994 के अंक में प्रकाशित  अवध श्रीवास्तव का आलेख 'शुरू नहीं होता कोई भी शुभ काम रावण की पूजा के बिना!' पढ़िए।

Back
 
Post Comment
 
Type a word in English and press SPACE to transliterate.
Press CTRL+G to switch between English and the Hindi language.
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश