देशभाषा की उन्नति से ही देशोन्नति होती है। - सुधाकर द्विवेदी।
 

कलयुग में गर होते राम

 (काव्य) 
 
रचनाकार:

 रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड

अच्छे युग में हुए थे राम
कलयुग में गर होते राम
बहुत कठिन हो जाते काम!
गर दशरथ बनवास सुनाते
जाते राम, ना जाने जाते
दशरथ वहीं ढेर हो जाते।
कलयुग में गर होते राम, बहुत कठिन हो जाते काम!

गर जाना ही बन पड़ जाता
लछमन साथ कभी ना जाता
राम अकेला ही रह जाता।
सीता साथ चली भी जाती
बन के दुख सहन ना पाती
लौट के महलों में आ जाती।
कलयुग में गर होते राम, बहुत कठिन हो जाते काम!

ना हनुमान कहीं भी मिलता
पग-पग पर रावण मिल जाते
क्षुब्ध बहुत हो जाते राम।
सब भाई गद्दी को लड़ते
आपस में महाभारत करते
होता जीना बहुत हराम।
कलयुग में गर होते राम, बहुत कठिन हो जाते काम!

- रोहित कुमार 'हैप्पी'

 

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Posted By Raj singh   on
Gajab yrrrrrr
 
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