प्रत्येक नगर प्रत्येक मोहल्ले में और प्रत्येक गाँव में एक पुस्तकालय होने की आवश्यकता है। - (राजा) कीर्त्यानंद सिंह।
 

प्रतिपल घूंट लहू के पीना | ग़ज़ल

 (काव्य) 
 
रचनाकार:

 डा. राणा प्रताप सिंह गन्नौरी 'राणा'

प्रतिपल घूँट लहू के पीना,
ऐसा जीवन भी क्या जीना ।

बहुत सरल है घाव लगाना,
बहुत कठिन घावों का सीना ।

छेड़ गया सोई यादों को,
सावन का मदमस्त महीना ।

पीठ न वीर दिखाते रण में,
छलनी भी हो जाये सीना ।

जो मरने से तनिक न डरता,
जीना है उसका ही जीना ।

काव्य-कला-साधन में 'राणा',
"एक हुआ है खून-पसीना ''

- डा राणा प्रताप सिंह राणा गन्नौरी

 

 

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