प्रत्येक नगर प्रत्येक मोहल्ले में और प्रत्येक गाँव में एक पुस्तकालय होने की आवश्यकता है। - (राजा) कीर्त्यानंद सिंह।
 

मीठे बोल - डा राणा का बाल साहित्य

 (बाल-साहित्य ) 
 
रचनाकार:

 डा. राणा प्रताप सिंह गन्नौरी 'राणा'

बच्चों के लिए लिखने वाले के पास बच्चों जैसा सरल एवं निश्छल मन भी होना चाहिए । प्राय: कहा जाता है कि बच्चों के लिए लिखने वालों की संख्या अधिक नहीं है । कुछ कलमकार बड़ों के साथ-साथ बच्चों के लिए भी लिखते रहते हैं । ऐसे कलमकारों में आप मेरी गणना भी कर सकते हैं । कुछ ऐसे भी कलमकार हैं जो लिखते ही बच्चों के लिए हैं । हरियाणा में ऐसे कलमकार के रूप में: श्री घमंडी लाल अग्रवाल ने अपनी विशेष पहचान बनाई है ।

'बच्चों की कविता' और 'बच्चों के लिए कविता' में अंतर होता है । बच्चों की कविता का अर्थ है बच्चों द्वारा लिखी गई कविता या जिसके पात्र बच्चे हों । बच्चों के लिए कविता का अर्थ है बड़ों द्वारा बच्चों की रुचियों आवश्यकताओं भावनाओं और क्रीड़ाओं को ध्यान में रख कर उनकी सरल सुबोध भाषा में बच्चों को सद्प्रेरणाएं और उत्तम संस्कार देने के लिए लिखी गई कविता । ऐसी कविता जिसे बच्चे सरलता से याद कर सकें और सहजता से सुना सकें ।

'नर्सरीराइम्ज़' भी बच्चों के लिए लिखी गई कविताएं होती हैं जो बहुत ही छोटे बच्चों के लिए उपयोगी होती हैं । 'मीठे बोल ' नामक संग्रह में प्रस्तुत मेरी कविताएं बड़े बच्चों के लिए उपयोगी हैं ।

इन कविताओं में कविता के विभिन्न रूप सम्मिलित हैं, जैसे -कविताएं, गजलें, मुक्तक, प्रचलित बाल कहानियों पर आधारित कविताएं, (जैसे भला करें, सहयोग, सयाना कच्चा,) नेताओं, महापुरुषों तथा देश भक्तों से सम्बंधित कविताएं । एक बात इन सब कविताओं मे समान है कि ये सरल भी हैं और छन्दोबद्ध भी ।

- डा. राणा प्रताप गन्नौरी 'राणा'

Back
More To Read Under This
वंदना | बाल कविता प्यारे बच्चो | बाल कविता चाचा नेहरू | बाल कविता नेता जी सुभाषचन्द्र बोस
 
Post Comment
 
Type a word in English and press SPACE to transliterate.
Press CTRL+G to switch between English and the Hindi language.
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश