अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।
 

ज्ञानप्रकाश विवेक की ग़ज़लें

 (काव्य) 
 
रचनाकार:

 ज्ञानप्रकाश विवेक | Gyanprakash Vivek

प्रस्तुत हैं ज्ञानप्रकाश विवेक की ग़ज़लें !

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