यदि पक्षपात की दृष्टि से न देखा जाये तो उर्दू भी हिंदी का ही एक रूप है। - शिवनंदन सहाय।
 

नन्ही सचाई

 (काव्य) 
 
रचनाकार:

 अशोक चक्रधर | Ashok Chakradhar

एक डॉक्टर मित्र हमारे
स्वर्ग सिधार।
कोरोना से मर गए,
सांत्वना देने
हम उनके घर गए।

उनकी नन्ही-सी बिटिया
भोली-नादान थी
जीवन-मृत्यु से अनजान थी।

हमेशा की तरह
द्वार पर आई,
देखकर मुस्कुराई।
उसकी नन्ही सच्चाई
दिल को लगी बेधने,
बोली-- अंकल!
भगवान जी बीमार हैं न
पापा गए हैं देखने।

- अशोक चक्रधर

 

Back
 
Post Comment
 
Type a word in English and press SPACE to transliterate.
Press CTRL+G to switch between English and the Hindi language.
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश