प्रत्येक नगर प्रत्येक मोहल्ले में और प्रत्येक गाँव में एक पुस्तकालय होने की आवश्यकता है। - (राजा) कीर्त्यानंद सिंह।
 

हमने कलम उठा नहीं रखी, गीत किसी के गाने को

 (काव्य) 
 
रचनाकार:

 रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड

हमने कलम उठा नहीं रखी, गीत किसी के गाने को॥

हम अपने मन के मालिक हैं
अपने दिल की करते हैं,
अपने शब्द जीया करते हैं
और उन्हीं पे मरते हैं।
हमने कलम उठा नहीं रखी, गीत किसी के गाने को॥

हमको वक्त के पन्नों पर
इतिहास रचाना आता है,
सिंहासन की नीवों को भी
हमें हिलाना आता है।
हमने कलम उठा नहीं रखी, गीत किसी के गाने को॥

आँखों का जल सूख चुका, अब
दिल में उठी ज्वाला है,
बूंद-बूंद को तरसे जनता
तेरे हाथ में प्याला है।
हमने कलम उठा नहीं रखी, गीत किसी के गाने को॥

भाषण नारे जलसों का भी
जादू सदा नहीं चलता,
तेरे झूठे वादों से तो
कोई पेट नहीं भरता।
हमने कलम उठा नहीं रखी, गीत किसी के गाने को॥

सेवक खुद को कहते हो
पर सेवा नहीं कभी करते,
सीमाओं पर हम मरते हैं
तुम तो कभी नहीं मरते।
हमने कलम उठा नहीं रखी, गीत किसी के गाने को॥

-रोहित कुमार हैप्पी

Back
 
Post Comment
 
Type a word in English and press SPACE to transliterate.
Press CTRL+G to switch between English and the Hindi language.
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश