देशभाषा की उन्नति से ही देशोन्नति होती है। - सुधाकर द्विवेदी।
 

हिंदी में आगत शब्दों के लिप्यंतरण के मानकीकरण की आवश्यकता

 (विविध) 
 
रचनाकार:

 विजय कुमार मल्‍होत्रा

इसमें संदेह नहीं कि आज हिंदी पत्रकारिता का क्षेत्र बहुत व्यापक होता जा रहा है, मुद्रण से लेकर टी.वी. चैनल और इंटरनैट तक मीडिया के सभी स्वरूपों में नये-नये प्रयोग किये जा रहे हैं। टी.वी. चैनल के मौखिक स्वरूप में हिंदी के साथ अंग्रेज़ी शब्दों का प्रयोग बहुत सहज लगता है, क्योंकि मौखिक बोलचाल में आज हम हिंदी के बजाय हिंगलिश के प्रयोग के आदी होते जा रहे हैं, लेकिन जब वही बात अखबारों और पत्र-पत्रिकाओं में मुद्रित रूप में सामने आती हैं तो कई प्रश्न उठ खड़े होते हैं। अर्थ का अनर्थ होने के खतरे भी सामने आ जाते हैं। ध्वन्यात्मक होने की विशेषता के कारण हम जो भी लिखते हैं, उसी रूप में उसे पढ़ने की अपेक्षा की जाती है। इसी विशेषता के कारण देवनागरी लिपि को अत्यंत वैज्ञानिक माना जाता है। उदाहरण के लिए taste और test दो शब्द हैं। अंग्रेज़ी के इन शब्दों को सीखते समय हम इनकी वर्तनी को ज्यों का त्यों याद कर लेते हैं। इतना ही नहीं put और but के मूलभूत अंतर को भी वर्तनी के माध्यम से ही याद कर लेते हैं। Calf, half और psychology में l और p जैसे silent शब्दों की भी यही स्थिति है। कुछ विद्वान् तो अब हिंदी के लिए रोमन लिपि की भी वकालत भी करने लगे हैं। ऐसी स्थिति में अंग्रेज़ी के आगत शब्दों के हिंदी में लिप्यंतरण पर गंभीरता पूर्वक विचार करने की आवश्यकता है।

आज अंग्रेज़ी भाषा का जो स्वरूप हमारे सामने है, उसमें अनेक भाषाओं का योगदान है। अंग्रेज़ी ने उदारतापूर्वक विभिन्न भाषाओं से शब्दों को ग्रहण किया है। इससे जहाँ अंग्रेज़ी भाषा समृद्धि के शिखर पर पहुँच गयी है, वहीं इसकी वर्तनी और उच्चारण में जटिलता भी आ गयी है. ‘put' और ‘but' जैसे शब्दों में ‘u' का उच्चारण भिन्न हो गया है। ‘put' का उच्चाऱण है ‘पुट' और ‘but' का उच्चाऱण है ‘बट'। इसका मूल कारण यह है कि दोनों भाषाओं का स्रोत अलग-अलग है. अंग्रेज़ी में ‘put' शब्द ग्रीक भाषा से लिया गया है और ‘but' शब्द लैटिन भाषा से। इसी प्रकार silent अर्थात् अनुच्चरित शब्दों की भी अंग्रेज़ी भाषा में विकट समस्या है। उदाहरण के लिए Psychology, half, calf और subtle जैसे शब्दों में क्रमशः p, l, l और b साइलैंट अर्थात् अनुच्चरित शब्द हैं। अंग्रेज़ी माध्यम से पढ़ने वाले विद्यार्थी बचपन से ही इन शब्दों की वर्तनी को याद कर लेते हैं, लेकिन गैर अंग्रेज़ी-भाषियों के लिए इन्हें याद रखना बहुत कठिन होता है, लेकिन यदि हम इन शब्दों के उच्चारण को देवनागरी लिपि में लिप्यंतरित कर लें तो हिंदीभाषियों के लिए यह कार्य आसान हो सकता है। इसका मुख्य कारण यह है कि हिंदी एक ध्वन्यात्मक भाषा है। इसमें जैसे लिखा जाता है, ठीक वैसे ही पढ़ा जाता है। यदि हम Psychology, half, calf और subtle को साइकॉलजी, हाफ़, काफ़ और सटल के रूप में देवनागरी में लिप्यंतरित कर लेते हैं तो इनका सही उच्चारण किया जा सकता है। इसी प्रकार हिंदी में pain और pen, bail और bell, Snakes और snacks जैसे शब्दों को सही रूप में देवनागरी में लिप्यंतरित ( पेन और पैन, बेल और बैल, स्नेक और स्नैक्स ) किया जा सकता है. वस्तुतः अंग्रेज़ी भाषा का उच्चारण पैटर्न पद्धति पर आधारित है. उदाहरण के लिए ‘tion' का उच्चारण ‘शन' है. Examination, Condition, lotion, action, abbreviation, abortion, adoption, adaptation, accumulation आदि। देवनागरी में इन्हें लिप्यंतरित करके इनका सही उच्चारण इस प्रकार किया जा सकता है, ऐग्ज़ामिनेशन, कंडीशन, लोशन, ऐक्शन, ऐब्रीविएशन, ऐडॉप्शन,ऐडेप्टेशन, ऐक्युमुलेशन. इसी प्रकार Read और Read की वर्तनी भी एक ही है। पहला Read यदि वर्तमान कालिक रूप है और इसका उच्चारण रीड है, तो दूसरे Read का उच्चारण रैड है, यह पहले Read का भूतकालिक रूप है. देवनागरी में लिप्यंतरित करके ही इस भेद को समझा और समझाया जा सकता है। LIVE और LIVE में भी यही समस्या है। एक विशेषण है और उसका उच्चारण है लाइव और दूसरा क्रियापद है, जिसका उच्चारण है, लिव। अंग्रेज़ी भाषा के कई शब्दों में ‘tt' का प्रयोग होता है, लेकिन उच्चारण में केवल एक ‘t' का ही प्रयोग होता है. जैसे, letter, litter, gutter, shutter आदि। इनका सही उच्चारण देवनागरी में लिखकर सरलता से किया जा सकता है। जैसे, लैटर, लिटर, गटर, शटर आदि। Test और taste, lack और lake, plan और plain, nod और node, nap और nape, mod और mode, mate और mat, sail और sell, saint और cent, main और man, mace और mess, mad और maid, hope और hop, hale और hell, brain और bran , bye और by, braid और bread, seller और sailor, bit और byte, lace और less, bloke और block, bile और bill, boy और buoy, bath और bathe, main और man, ball और bawl, baste और best, rate और rat, back और bake, bait और bet, bale और bell, bar और bare को देवनागरी में इस प्रकार से लिप्यंतरित किया जा सकता है। टैस्ट और टेस्ट, लैक और लेक, प्लैन और प्लेन, नॉड और नोड, नैप और नेप, मॉड और मोड, मेट और मैट, सेल और सैल, सेंट और सैंट, मेन और मैन, मेस और मैस, मैड और मेड, होप और हॉप, हेल और हैल, ब्रेन और ब्रैन , बाय और बाई, ब्रेड और ब्रैड, सेलर और सैलर, बिट और बाइट, लेस और लैस, ब्लोक और ब्लॉक, बाइल और बिल, बॉय और ब्वॉय, बाथ और बेद, मेन और मैन, बॉल और बाउल, बेस्ट और बैस्ट, रेट और रैट, बैक और बेक, बेट और बैट, बेल और बैल, बार और बेयर आदि।

इसी प्रकार Heroin और heroine को देवनागरी में हीरोइन और हैरोइन, hour को आवर या आर, machine को मशीन, madame को मादाम लिखकर इनका सही उच्चारण किया जा सकता है। अंग्रेज़ी में ‘g' का उच्चारण कहाँ ‘ग' होगा और कहाँ ‘ज', यह समझना गैर अंग्रेज़ीभाषियों के लिए बहुत कठिन है. इस समस्या को भी देवनागरी में लिप्यंतरित करके हल किया जा सकता है। जैसे magician को मैजीशियन, God को गॉड, gem को जैम, goat को गोट, game को गेम, gain को गेन, gas को गैस और German को जर्मन के रूप में इनका सही उच्चारण देवनागरी में लिप्यंतरित करके ही किया जा सकता है। इसी प्रकार ‘c' का उच्चारण कहाँ ‘स' होगा और कहाँ ‘क', इसे भी देवनागरी में लिखकर स्पष्ट किया जा सकता है। जैसे rice, cereal, car, cat और can को राइस, सीरियल, कार, कैट और कैन के रूप में सही उच्चारण के लिए देवनागरी में लिप्यंतरित किया जा सकता है। इसी प्रकार पैटर्न के आधार पर अंग्रेज़ी के शब्दों के वर्ग बनाये गये हैं, उन्हें भी देवनागरी में लिप्यंतरित करके हिंदीभाषी बच्चों को अंग्रेज़ी शब्दों का उच्चारण सही ढंग से सिखाया जा सकता है। जैसे अंग्रेज़ी में ‘oo' से बनने वाले शब्दों का उच्चारण good ( गुड), look (लुक), took ( टुक), wood (वुड) और book ( बुक) भी हो सकता है और blood (ब्लड) और flood ( फ़्लड) भी हो सकता है और fool (फ़ूल), root (रूट) और cool (कूल) भी हो सकता है. ‘ull' का उच्चारण pull (पुल) और full (फ़ुल) और null (नल) और lull (लल) भी हो सकता है. ‘All' और ‘Oll' से समाप्त होने वाले शब्दों का उच्चारण Ball ( बॉल) और Hall ( हॉल) भी हो सकता है और Doll ( डॉल), Roll (रोल) भी और रोल (role) भी. अंग्रेज़ी में ‘ a' वर्ण का उच्चारण अलग-अलग परिेवेश में अलग-अलग होता है. जिन शब्दों का अंत ‘at' से होता है तो उनका उच्चारण ‘ऐ' के रूप में होता है। जैसे bat (बैट), hat ( हैट) , cat ( कैट) आदि और जिन शब्दों के अंत में ‘all' होता है तो उनका उच्चारण ‘ऑ' होता है, जैसे, ball (बॉल), hall (हॉल) आदि और अगर अंत में ‘rt' हो तो उनका उच्चारण ‘आ' होता है, जैसे Art (आर्ट) और Cart ( कार्ट) आदि. इसी प्रकार यदि ‘dg' एक साथ आते हों तो उनका उच्चारण ‘ज' होता है,लेकिन ‘d' अनुच्चरित रहता है, जैसे judge (जज) , grudge ( ग्रज)और lodge ( लॉज) आदि. इसी प्रकार कई स्थलों पर ‘d 'का उच्चारण ‘ज' होता है, जैसे Education (ऐजुकेशन) आदि।

इतने विस्तार से इस विषय को स्पष्ट करने के अनेक कारण हैं. आजकल बोलचाल की हिंदी में अंग्रेज़ी के शब्दों का इतना व्यापक प्रयोग होने लगा है कि यदि हमने मानकीकरण के नियम नहीं बनाये तो हिंदी में अराजकता फैल जाएगी। जब तक यह प्रवृत्ति बोलचाल की हिंदी तक सीमित थी तो इसे हिंगलिश के रूप में स्वाभाविक प्रवृत्ति मानकर अनदेखा किया जा सकता था। चिंगलिश और स्पिंगलिश के रूप में यह प्रवृत्ति अन्य देशों में भी दिखायी देती है, जहाँ चीनी और अंग्रेज़ी तथा स्पैनिश और अंग्रेज़ी का खिचड़ी का रूप दिखायी देता है, लेकिन अब तो हिंदी के कुछ समाचार पत्रों ने नयी पीढ़ी से जुड़ने के लिए इसे नीति के रूप में भी स्वीकार कर लिया है। जैसे टाइम्स ऑफ़ इंडिया समूह द्वारा प्रकाशित नवभारत टाइम्स। पिछले एक-दो वर्ष पूर्व भारत सरकार ने भी सरल हिंदी के नाम पर अंग्रेज़ी शब्दों की भरमार को स्वाभाविक प्रवृत्ति मानकर वैधानिक स्वरूप दे दिया है, लेकिन भारत सरकार द्वारा गठित वैज्ञानिक व तकनीकी शब्दावली के स्थायी आयोग ने अंग्रेज़ी शब्दों के लिप्यंतरण के लिए मात्र यही निर्देश दिये हैं, "अंग्रेज़ी शब्दों का लिप्यंतरण इतना जटिल नहीं होना चाहिए कि उसके कारण वर्तमान देवनागरी वर्णों में नये चिह्न व प्रतीक शामिल करने की आवश्यकता पड़े। अंग्रेज़ी शब्दों का देवनागरीकरण करते समय लक्ष्य यह होना चाहिए कि वे मानक अंग्रेज़ी उच्चारण के अधिकाधिक अनुरूप हों और उनमें ऐसे परिवर्तन किये जाएँ जो भारत के शिक्षित वर्ग में प्रचलित हों।" यह नीति बनाने से पूर्व अंग्रेज़ी शब्दों के देवनागरीकरण के कोई और नियम निर्धारित नहीं किये गये, जिसके परिणामस्वरूप इन शब्दों की मानक वर्तनी का कोई ठोस स्वरूप हमारे सामने नहीं है। इसका कदाचित् यह कारण भी हो सकता है कि हिंदी में जैसे बोलते हैं वैसे ही लिखते भी हैं। लेकिन अंग्रेज़ी शब्दों के उच्चारण में भी इतनी विविधता है कि कौन-से रूप को मानक माना जाए, यह भी विचारणीय है. भारत सरकार ने सन् 1962 में पारिभाषिक शब्दों के निर्माण के लिए जो सिद्धांत बनाये थे, कमोबेश वही सिद्धांत आज भी प्रस्थान बिंदु के रूप में हमारे सामने हैं, स्वीकरण (adoption) और अनुकूलीकरण ( adaptation)। अंग्रेज़ी के जो शब्द हिंदी में रच-बस गये हों या जो शब्द विश्वव्यापी हों उन्हें हिंदी में ज्यों का त्यों ले लिया जाए। जैसे कॉलेज, पैट्रोल, रडार, हॉकी, मीटर आदि, लेकिन इनका उच्चारण वही होगा जो भारत का आम अंग्रेज़ी पढ़ा- लिखा आदमी बोलता है, लेकिन अनुकूलीकरण की प्रक्रिया के माध्यम से कुछ शब्दों को देसी वातावरण के अनुरूप ढालने की प्रक्रिया को भी अपना लिया गया. उदाहरण के लिए Academy को अकादमी,police को पुलिस, biscuit को बिस्कुट, January को जनवरी, February को फ़रवरी और April को अप्रैल के रूप में अनुकूलित कर लिया गया। साथ ही वर्तनी के कुछ नियम भी अनायास विकसित होने लगे। जैसे यदि किसी शब्द के अंत में ‘y' आता हो तो उसे दीर्घ ‘ई' के रूप में ही लिखा जाने लगा, जैसे hobby ( हॉबी) ,baby ( बेबी) ,bobby (बॉबी) ,hockey हॉकी आदि. इसीप्रकार यदि किसी शब्द के अंत में ‘ly' आता हो तो उसे दीर्घ ‘ली' के रूप में ही लिखा जाने लगा. जैसे family (फ़ैमिली) ,butterfly (बटरफ्लाई) आदि. किंतु आज जिस परिमाण में हिंदी में अंग्रेज़ी के शब्द अपनी पैठ बना रहे हैं, उनके लिप्यंतरण के लिए कोई सुविचारित नीति बनाना आवश्यक है। अंग्रेज़ी में जो भी विदेशी भाषाओं से शब्द लिये जाते हैं, उन्हें ऑक्सफ़ोर्ड जैसे कोशकार अपने कोश में स्थान देते हुए विद्वानों की सहायता से प्रामाणिक रूप में सूचीबद्ध कर देते हैं ताकि अंग्रेज़ी भाषा के प्रयोक्ता इन शब्दों का सही पर्याय और वर्तनी कोश में देख सकें। इसके विपरीत हिंदी बोलते समय कोई भी व्यक्ति अंग्रेज़ी के किसी भी शब्द का प्रयोग हिंदी में धड़ल्ले से कर सकता है। पहले यह प्रवृत्ति बोलचाल की भाषा तक सीमित थी, लेकिन अब इसे लिखित रूप में भी स्वीकृति मिलने लगी है. सभी भाषाओं में आम तौर पर संज्ञा के रूप में प्रयुक्त विदेशी शब्दों को ही अपनी भाषा में अपनाने की प्रवृत्ति रहती है और अब तो विशेषण और क्रियाविशेषण का भी प्रयोग हम धड़ल्ले से करने लगे हैं। जैसे मैं ‘सीरियसली' सोच रहा हूँ. कई बार हमें यह भ्रम होता है कि इसका कारण कदाचित् यह है कि हिंदी में नवनिर्मित शब्द बहुत कठिन हैं, लेकिन यह धारणा सही नहीं है. यदि ऐसा होता तो सिस्टर-ब्रदर, फ़ादर-मदर, ब्रदर-इन-लॉ, सिस्टर-इन-लॉ, फ़ादर-इन-लॉ, मदर-इन-लॉ जैसे रिश्ते-नाते के शब्दों का व्यापक प्रयोग न होता। कोई भी यह नहीं कह सकता कि हिंदी के भाई-बहन,माता-पिता, साला-साली, सास-ससुर आदि शब्द बहुत क्लिष्ट हैं। इसी प्रकार हिंदी के प्रचलित रंगों के नाम भी हम अंग्रेज़ी में बोलना पसंद करते हैं, जैसे, रैड, यैलो, ब्लू, ब्लैक, व्हाइट आदि. क्या लाल, पीला, नीला, काला और सफ़ेद किसी भी दृष्टि से कठिन माने जा सकते हैं। इन शब्दों को अप्रचलित भी नहीं माना जा सकता। भाषाविज्ञान में इस प्रवृत्ति को ‘कोड स्विचिंग' कहा जाता है। अब तो यह प्रवृत्ति शब्दों तक ही सीमित नहीं रह गयी है। कुछ हिंदी फ़िल्मों के नामों से इसका अंदाज़ा होता है, जैसे ‘जब वी मैट', ‘यू, मी और हम', सर्वनामों के साथ-साथ क्रियापदों के भूतकालिक रूप को भी हिंदी में ले लिया गया है। इससे यह स्पष्ट है कि अब समय आ गया है कि जब हम ऐसी पद्धति विकसित करें जिसमें न केवल उन शब्दों को ही हिंदी में लिप्यंतरित किया जाए जो हिंदी में रच-बस गये हों, बल्कि अंग्रेज़ी के सभी शब्दों को सही तौर पर और प्रामाणिक रूप में लिप्यंतरित किया जा सके. यह शब्दकोश इसी दिशा में एक प्रयास है। इसमें न केवल उन शब्दों को हिंदी में लिप्यंतरित किया गया है, जो हिंदी में रचे-बसे हैं, बल्कि इस कोश में प्रयुक्त अंग्रेज़ी के सभी शब्दों को हिंदी में लिप्यंतरित किया गया है। इस प्रक्रिया में उन सभी मानदंडों को अपनाया गया है, जो कालांतर में अंग्रेज़ी के आगत शब्दों को हिंदी में लिप्यंतरित करने के लिए अपनाये जाते रहे हैं। इसमें अनुकूलित शब्दों को भी लिप्यंतरित करते हुए उनके मूल उच्चारण को भी साथ रखा गया है। उदाहरण के लिए Academy को भारत सरकार ने ‘अकादमी' के रूप में अनुकूलित किया है, इसलिए इस शब्दकोश में ‘अकादमी' के साथ-साथ एकेडमी के मूल उच्चारण को भी स्थान दिया गया है ताकि शिक्षार्थी अंग्रेज़ी में इसके मूल उच्चारण से भी परिचित हो सकें। भारत सरकार ने अंग्रेज़ी के आगत शब्दों के सही उच्चारण के लिए जिन संकेतों को देवनागरी की परिवर्धित लिपि में स्वीकार किया है, उनका भी यथास्थान उपयोग किया गया है। उदाहरण के लिए ‘hall' और ‘hole' के सही उच्चारण के लिए ‘ऑ' के विशेष स्वर को स्वीकार करते हुए उसके अर्थभेदक स्वरूप को यथावत् रखा गया है। इन्हें हिंदी में ‘हॉल' और ‘होल' के रूप में लिप्यंतरित किया गया है। इसी प्रकार नुक्ते का प्रयोग भी अंग्रेज़ी शब्दों के सही उच्चारण के लिए व्यापक रूप में किया गया है। ‘z', ‘j' तथा ‘f' आदि जैसे वर्णों के सही उच्चारण के लिए नुक्ते का व्यापक प्रयोग किया गया है. जैसे zebra (ज़ेब्रा) , Fridge (फ़्रिज), page (पेज), Fool ( फ़ूल), File ( फ़ाइल) आदि। भारत सरकार की नीति के अनुसार पंचमाक्षर के स्थान पर अनुस्वार को अपनाते हुए अंग्रेज़ी से हिंदी में लिप्यंतरित शब्दों को बहुत बोझिल होने से रोकने की कोशिश की गयी है। यद्यपि यह प्रवृत्ति अब हिंदी शब्दों को लिखने के लिए भी अपनायी जाने लगी है, फिर भी अंग्रेज़ी शब्दों के हिंदी में लिप्यंतरण के लिए भी इसका व्यापक उपयोग किया गया है ताकि अंग्रेज़ी शब्द हिंदी में लिप्यंतरित होने के बाद बोझिल न लगें। उदाहरण के लिए England ( इंङ्लैंण्ड) को इंगलैंड के रूप में, Reading (रीडिङ) को रीडिंग और Superintendent (सुपरिण्टेण्डेण्ट) को सुपरिंटेंडेंट के रूप में लिप्यंतरित किया जाना चाहिए।

इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि अंग्रेज़ी से हिंदी में लिप्यंतरण के मानकीकरण की आवश्यकता है और इस दिशा में अविलंब प्रयास किये जाने चाहिए। सुधीजनों से हमारी यह अपेक्षा रहेगी कि वे इस प्रयास को आज के हिंगलिश के परिप्रेक्ष्य में अंग्रेज़ी शब्दों के देवनागरीकरण की प्रक्रिया पर गौर करें ताकि आज के समय की इस भाषिक चुनौती का मिलकर सामना किया जा सके। इसी दिशा में उनका अगला कदम उर्दू और हिंदी के रोमनीकरण को लेकर होगा। आशा है सुधी पाठक इन सामयिक प्रयासों की सराहना करेंगे।

-विजय कुमार मल्होत्रा, पूर्व निदेशक (राजभाषा) 
 रेल मंत्रालय, भारत सरकार

 

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