अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।
 

राखी बांधत जसोदा मैया

 (काव्य) 
 
रचनाकार:

 सूरदास | Surdas

राखी बांधत जसोदा मैया।
विविध सिंगार किये पटभूषण, पुनि पुनि लेत बलैया॥
हाथन लीये थार मुदित मन, कुमकुम अक्षत मांझ धरैया।
तिलक करत आरती उतारत अति हरख हरख मन भैया॥
बदन चूमि चुचकारत अतिहि भरि भरि धरे पकवान मिठैया।
नाना भांत भोग आगे धर, कहत लेहु दोउ मैया॥
नरनारी सब आय मिली तहां निरखत नंद ललैया।
सूरदास गिरिधर चिर जीयो गोकुल बजत बधैया ॥

-सूरदास

 

Back
 
Post Comment
 
Type a word in English and press SPACE to transliterate.
Press CTRL+G to switch between English and the Hindi language.
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश