मुस्लिम शासन में हिंदी फारसी के साथ-साथ चलती रही पर कंपनी सरकार ने एक ओर फारसी पर हाथ साफ किया तो दूसरी ओर हिंदी पर। - चंद्रबली पांडेय।
 

अर्थहीन

 (काव्य) 
 
रचनाकार:

 रीता कौशल | ऑस्ट्रेलिया

कटु वचनों से आहत कर
पींग प्रेम की अर्थहीन है।
प्रेम समर्पण का नाम दूजा है
हक समझ पाना अर्थहीन है।

कटु प्रसंगों की स्मृतियाँ
जीवन पर्यन्त ढोना अर्थहीन है।
चिड़ियाँ जब खेत चुग गयीं
तब पछताना अर्थहीन है।

काँटों से मुश्किल जीवन पथ का
अंत पुष्प विमान में अर्थहीन है।
जीते जी न कभी जाना समझा
अब ये रोना धोना अर्थहीन है।

अंतस में कभी झाँक न देखा
फिर पोथी पढ़ना अर्थहीन है।
मन वचन कर्म तनिक न उतरे
ऐसा थोथा ज्ञान अर्थहीन है।

निन्यानवे के फेर को छोड़ो
इकाई दहाई सब अर्थहीन है।
गीता ज्ञान गुनो और समझो
अत्यंत संचन अर्जन अर्थहीन है।

- रीता कौशल, ऑस्ट्रेलिया
PO Box: 48 Mosman Park
WA-6912 Australia
Ph: +61-402653495
E-mail: rita210711@gmail.com

Back
 
Post Comment
 
Type a word in English and press SPACE to transliterate.
Press CTRL+G to switch between English and the Hindi language.
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश